विधायक को दिया करंट, स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी को जिंदा जलाया... संसद में सियासत के बीच दर्द झेलता मणिपुर
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जहां देश की संसद में यह तय नहीं हो पा रहा है कि मणिपुर में किस नियम के तहत बहस होगी. वहीं हिंसा से ग्रस्त राज्य आज भी दर्द झेल रहा है. मणिपुर की ये दो कहानियां पूरे देश को सोचने पर मजबूर कर देंगीं. यह दो घटनाएं मणिपुर की हैं, जहां एक भाजपा विधायक को करंद देकर मारने की कोशिश की गई तो एक स्वतंत्रता सेनानी को पत्नी को जिंदा जला दिया गया.
संसद में मानसून सत्र के तीसरे दिन मणिपुर मुद्दे को लेकर जमकर हंगामा हुआ. विपक्ष का कहना है कि मणिपुर पर चर्चा करो. जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि वो चर्चा के लिए तैयार हैं. लेकिन फिर भी चर्चा हो नहीं पा रही, आखिर ऐसा क्यों है जब दोनों पक्ष राजी हैं तो चर्चा क्यों नहीं हो पा रही? देश के नेता फिक्र तो मणिपुर को लेकर संसद के बाहर खूब दिखाते हैं, लेकिन जब संसद के भीतर जिक्र यानी चर्चा की नौबत आती है तो हंगामा होता है. ऐसे में आइए यह समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर कौन है जो संसद नहीं चलने दे रहा.
सोमवार को सुबह 10.30 बजे राजस्थान, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ में बेटी का सम्मान और भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाकर गांधी प्रतिमा के पास बीजेपी सांसद प्रदर्शन करते हैं. कुछ देर बाद सुबह 10.45 बजे कांग्रेस के साथ विपक्षी गठबंधन INDIA के सांसद भी संसद परिसर में उसी गांधी प्रतिमा के पास पहुंचकर मणिपुर पर चर्चा की मांग करते हुए प्रदर्शन करते हैं. लेकिन संसद के भीतर पहुंचते ही चर्चा नहीं होती. सिर्फ हंगामा हुआ और सदन को स्थगित कर दिया गया.
चर्चा की सिर्फ बातें हैं, लेकिन चर्चा नहीं
दरअसल मणिपुर के मुद्दे ने तूल तब पकड़ा जब 4 मई को निर्वस्त्र करके मणिपुर में 21 साल की बेटी के साथ गैंगरेप हुआ और इसकी शर्मनाक वीडियो 19 जुलाई को देश के सामने आई. उसके बाद प्रधानमंत्री ने भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं शर्मसार करने वाली हैं. विपक्षी नेता भी इस वीडियो को देखकर घटना को शर्मसार करने वाला बताया. शर्मसार सब हुए. फिर भी 5 दिन बाद हालत ये है कि देश की संसद में तय नहीं हो पा रहा है कि चर्चा कैसे होगी, कब होगी?
जिस गांधी प्रतिमा के सामने खड़े होकर संसद के बाहर तो हर पार्टी का सांसद कहता है कि चर्चा हो और भीतर सिर्फ हंगामा होता है. उसी गांधी प्रतिमा से 2400 किमी दूर मणिपुर के हालात यूं हो चले हैं कि कुकी और मैतेई समुदाय ने अपने अपने इलाके बांटे हुए हैं. वहां अपनी-अपनी सीमा तय कर ली है. बैरिकेड लगा रखे हैं. ऐसे हालात हैं कि दोनों तरफ बंकर बनाकर लोग रह रहे हैं. जिस मणिपुर पर 77 दिन बाद तो देश में चर्चा शुरू हो पाई है. उस मणिपुर में बंदूकें लेकर लोग तैनात हैं. एक दूसरे पर अविश्वास की खाई बहुत चौड़ी है. इलाके नागरिक क्षेत्र कम, वॉर जोन लगने लगे हैं. तब मणिपुर पर चर्चा के नाम पर संसद के बाहर और अंदर भी सियासी वॉर जोन है, लेकिन चर्चा नहीं. आखिर क्यों?
'सरकार चर्चा को तैयार'
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