
रूस को चोट पहुंचाने के लिए यूक्रेन ने यूरोप को दिया बड़ा झटका, जानें 'गैस वॉर' से किस मुल्क पर कितना असर
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यूक्रेन और रूस के बीच एक समझौते के तहत दशकों से यूरोपीय देशों को रूसी गैस पहुंचाई जा रही थी. लेकिन यूक्रेन ने दशकों पुराने समझौते को रिन्यू करने से रोक दिया है जिससे यूरोप के देशों तक रूसी गैस की सप्लाई रुक गई है. इससे कई देशों को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
यूक्रेन से होकर यूरोप तक पहुंचने वाली रूसी गैस की सप्लाई बंद हो गई है. यूरोप तक रूसी गैस पहुंचाने की यह ट्रांजिट व्यवस्था 33 साल पुरानी थी, जिसकी शुरुआत 1991 में की गई थी. इसी व्यवस्था के जरिए रूस ने यूरोपीय ऊर्जा बाजारों पर अपना प्रभुत्व कायम किया था जो अब लगभग खत्म हो गया है. इसी के साथ ही यूरोप में रूस के सस्ते गैस का एक युग भी समाप्त हो चुका है.
रूस-यूक्रेन के बीच लगभग तीन सालों से चल रहे युद्ध के बावजूद भी यूरोप तक रूसी गैस यूक्रेन के रास्ते पहुंच रहा था, लेकिन अब इस पर विराम लग गया है. रूस की गैस कंपनी गजप्रोम ने कहा कि उसने यूक्रेन के जरिए यूरोप को गैस की सप्लाई स्थानीय समयानुसार बुधवार सुबह 8 बजे रोक दी, क्योंकि यूक्रेन ने ट्रांजिट समझौते को रिन्यू करने से मना कर दिया.
रूस की गजप्रोम और यूक्रेन की गैस ट्रांजिट ऑपरेटर नेफ्टोगैज के बीच गैस ट्रांजिट को लेकर पांच सालों का समझौता हुआ था जो कि 2025 के पहले ही दिन खत्म हो गया और यूक्रेन ने इसे रिन्यू करने से मना कर दिया.
क्या बोले यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम पर लिखा है कि उनके देश के जरिए गैस का यूरोप तक जाना बंद हो गया है जो कि रूस की बहुत बड़ी हार है. इसी के साथ जेलेंस्की ने अमेरिका से आग्रह किया कि वो यूरोप को और अधिक गैस की सप्लाई करे.
यूक्रेनी राष्ट्रपति ने लिखा, 'यूरोप के पार्टनर्स बाजार में जितनी अधिक मात्रा में एनर्जी देंगे, उतनी ही तेजी से हम रूस पर यूरोप की ऊर्जा निर्भरता को पूरी तरह से खत्म कर देंगे. ऊर्जा परिवर्तन के इस दौर में पूरा यूरोप मिलकर मोल्दोवा का समर्थन करेगा.'

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