
'मैं और मेरे साथी सन्न रह गए थे, लेकिन...', सुप्रीम कोर्ट में हुए जूता कांड पर बोले CJI गवई
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सुप्रीम कोर्ट में CJI बीआर गवई के कोर्ट रूम में सोमवार को 71 वर्षीय एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की. वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से नाराज था. इस घटना पर अब पहली बार चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की है.
सुप्रीम कोर्ट में हुए जूता कांड के तीन दिन बाद चीफ जस्टिस बीआर गवई ने इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को कहा कि मेरे साथी और मैं सोमवार को हुई घटना से सन्न रह गए थे, लेकिन अब हमारे लिए वो बीता हुआ समय यानी इतिहास का एक पन्ना या अध्याय है.
दरअसल, सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के कोर्ट रूम में 71 वर्षीय एक वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की. इस घटना की देशभर में कड़ी निंदा की जा रही है. पुलिस के अनुसार, वकील पिछले महीने खजुराहो में विष्णु प्रतिमा की पुनर्स्थापना से जुड़ी सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश की टिप्पणी से नाराज था.
इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण ने कहा, "मिलॉर्ड! मैंने इस बारे में एक लेख भी लिखा था. कुछ ऐसी ही घटना 10 साल पहले अदालत में हुई थी. उस समय अवमानना की शक्तियों और उन पर कार्यान्वयन की प्रक्रिया को लेकर दो जजों ने अपनी राय दी थी कि ऐसी परिस्थिति में क्या होनी चाहिए."
यह कोई मजाक की बात नहीं: जस्टिस भुइयां
जस्टिस उज्जल भुइयां ने कहा कि इस पर मेरी राय तो ये है कि वे देश के चीफ जस्टिस हैं. यह कोई मजाक की बात नहीं है. इसके बाद किसी को भी मैं किसी प्रकार का माफीनामा नहीं दे रहा हूं. यह पूरे संस्थान पर आघात है, क्योंकि जजों के रूप में वर्षों में हम कई ऐसे काम करते हैं जिन्हें दूसरे लोग उचित न समझते हों. लेकिन इससे हमारे अपने निर्णयों पर विश्वास कम नहीं होता.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह अक्षम्य अपराध था. लेकिन कोर्ट और पीठ ने जो संयम और उदारता दिखाई वह सराहनीय और प्रेरक है. इससे पहले अदालत में जो कुछ हुआ वह पूरी तरह अक्षम्य है.

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