
भारत से पंगा-खालिस्तानी प्रोपगेंडा और ट्रंप का कोप... कनाडा में ट्रूडो का ऐसे हुआ गेम फिनिश!
AajTak
जस्टिन ट्रूडो का इस्तीफा देने का ऐलान कनाडा की राजनीति में चल रहे घटनाक्रमों का स्वभाविक नतीजा है. ट्रूडो अपने घरेलू चुनौतियों से निपटने के बजाय लगातार खालिस्तानी पॉलिटिक्स को शह देते रहे. महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष उनको लगातार घेर रहा था. ट्रंप उन निशाना साध रहे थे लेकिन ट्रूडो कहीं सफल नहीं हो पा रहे थे. कई मुश्किलों में घिरे ट्रूडो ने अब ये कदम उठाया है.
खालिस्तानी प्रोपगेंडा और भारत विरोधी एजेंडा के दम पर अपनी राजनीति चमकाने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के दिन पूरे हो गये हैं. सोमवार सुबह सुबह जब लोग नींद से जग ही रहे थे तभी कनाडा से आई एक खबर ने लोगों को चौंका दिया. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिन ट्रूडो प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहे हैं. वे कभी भी अपना पद छोड़ सकते हैं.
कनाडा के अखबार द ग्लोब एंड मेल ने तीन सूत्रों के आधार पर बताया कि ट्रूडो लिबरल पार्टी के नेता के तौर पर पद छोड़ने जा रहे हैं. ग्लोब एंड मेल के अनुसार वे निश्चित रूप से नहीं जानते कि ट्रूडो कब पद छोड़ने की अपनी योजना की घोषणा करेंगे, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि बुधवार को होने वाली एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कॉकस बैठक से पहले ऐसा हो जाएगा.
ट्रूडो ने 2013 में लिबरल नेता का पद संभाला था, जब पार्टी गहरे संकट में थी और पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर आ गई थी.
ट्रूडो ने दो साल तक कनाडा में धुआंधार कैम्पेन किया और अक्टूबर 2015 में जब कनाडा में चुनाव हुए तो उन्हें ट्रूडो को शानदार जीत मिली. इस चुनाव में लिबरल को 338 सीटों में से 184 सीटों पर जीत मिली. जबकि ट्रूडो की पार्टी को लोकप्रिय मतों का 39.5 फीसदी मिला. ये एक मजबूत और ताकतवर सरकार थी. ट्रूडो की जीत कितनी बड़ी थी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2011 के चुनाव में उनकी पार्टी को मात्र 34 सीटें मिली थी. जबकि 2015 के चुनाव में लिबरल पार्टी को 184 सीटें मिलीं.
इसके बाद ट्रूडो ने 2019 और 2021 के चुनावों में भी जीत हासिल की. लेकिन हर जीत के साथ ट्रूडो की नीतियों पर पकड़ कमजोर होती गई और कंजरवेटिव पार्टी हावी होती गई. अब स्थिति ये आ चुकी है कि ट्रूडो को अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने को मजबूर होना पड़ा है.
खालिस्तानी प्रोपगेंडा, भारत विरोधी एजेंडा

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.







