
भारत के विदेश मंत्री जयशंकर की रूस को दो टूक, बोले- कोई हमें न बताए किससे दोस्ती करें, किससे नहीं
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हिंद-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड देशों की बढ़ती भूमिका पर रूस की चिंता को भारत ने खारिज कर दिया है. क्वाडिलेट्रेल सिक्योरिटी डायलॉग यानी क्वाड देशों की भूमिका को लेकर रूस ने कहा था कि इसके जरिये पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शीत युद्ध को फिर से बहाल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. लेकिन भारत ने दो टूक कहा है कि कोई दूसरा देश यह तय नहीं करेगा कि भारत किस के साथ दोस्ती करे या किस के साथ नहीं.
रूस और भारत के ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं. हालांकि, बदलती वैश्विक परिस्थितियों में जहां रूस और पाकिस्तान की दूरियां कम हो रही हैं, वहीं भारत के लिए भी अमेरिका एक अहम साझेदार के तौर पर उभरा है. यहां तक कि कई मामलों में अब रूस और भारत के हित आपस में टकराते नजर आ रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत अमेरिकी नेतृत्व वाले क्वॉड समूह में पहले से ज्यादा सक्रिय हुआ है जबकि रूस ऐसा नहीं चाहता. रूस चीन के साथ मिलकर अमेरिका के वर्चस्व का मुकाबला करना चाहता है. रूस ने एक बयान में यहां तक कह दिया था कि चीन के खिलाफ साजिश में भारत मोहरे की तरह इस्तेमाल हो रहा है. (फोटो-Getty Images) रूस ने बुधवार को एक बार फिर क्वॉड को लेकर भारत को आगाह किया तो भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी स्पष्ट रूप से अपनी बात कह दी. क्वॉड देशों की भूमिका को लेकर रूस ने कहा था कि इसके जरिये पश्चिमी देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शीत युद्ध की मानसिकता को फिर से बहाल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दो टूक कहा है कि कोई दूसरा देश यह तय नहीं करेगा कि भारत किस के साथ दोस्ती करे या किसके साथ नहीं. दूसरों को इसकी परवाह करने की जरूरत नहीं.
आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






