
भारत के दो गुटखा किंग की लड़ाई और दाऊद ने पाकिस्तान में खड़ा कर दिया बड़ा बिजनेस, 11 करोड़ मिला था 'चढ़ावा'
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विश्नोई गैंग ने जिस तरह से अपना नेटवर्क बनाया है वो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की याद दिलाता है. कहा जाता है कि बड़े-बड़े कारोबारी उसके यहां डर से दरबार लगाते थे. ऐसी ही एक कहानी है भारत के दो गुटखा किंग की जो डर से दाऊद के पास पहुंचे थे लेकिन दाऊद ने उनकी मदद से पाकिस्तान में गुटखे का 'राज' फैला दिया.
मुंबई में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से हड़कंप है. इस घटना की जिम्मेदारी लॉरेंस विश्नोई गैंग ने ली है. पिछले कुछ सालों में विश्नोई गैंग ने एक के बाद एक कई बड़े हत्याकांड को अंजाम दिया है. जेल में बैठकर लॉरेंस विश्नोई इस गैंग को कैसे ऑपरेट करता है ये अभी भी जांच का विषय है. लेकिन विश्नोई गैंग ने जिस तरह से अपना नेटवर्क बनाया है वो अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की याद दिलाता है. दाऊद भी कभी ऐसे ही हाईप्रोफाइल लोगों को मरवाकर, डराकर अपना नेटवर्क चलाता था. कहा जाता है कि बड़े-बड़े कारोबारी उसके यहां डर से दरबार लगाते थे. ऐसी ही एक कहानी है भारत के दो गुटखा किंग की जो डर से दाऊद के पास पहुंचे थे लेकिन दाऊद ने उनकी मदद से पाकिस्तान में गुटखे का 'राज' फैला दिया.
जानें क्या थी गुटखा किंग की कहानी…
दरअसल, पाकिस्तानी आवाम को गुटखे की लत का आदी बनाने में भगोड़े दाऊद, उसके भाई अनीस, और भारत के दो गुटखा किंग की आपसी दुश्मनी का बड़ा रोल है. ये कहानी बंबई से शुरू होकर दुबई पहुंचती है और फिर कराची जाकर पूरी होती है. इस कॉरपोरेट जंग में फिर जो 'इंसाफ' हुआ उसके बाद कराची में एक मॉडर्न गुटखा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की नींव पड़ी.
ये बात 24-26 साल पहले की है. भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध कुछ खास नहीं थे. बावजूद इसके गुटखे की इस फैक्ट्री के लिए सारी तकनीक और मशीनरी मुंबई से कराची वाया दुबई पहुंची थी.
1971 तक गुटखा नहीं पान चबाते थे पाकिस्तानी
पाकिस्तान में गुटखे की कहानी देखें तो नजरें सिंध और ब्लूचिस्तान की समुद्री तटों तक जाती है. इसी सिंध प्रांत में कराची है जो पाकिस्तान का बिजनेस के साथ-साथ गुटखा हब भी है. पाकिस्तान के समाचारपत्र द ट्रिब्यून में छपी की एक रिपोर्ट में सिंध यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर डॉ फतेह मोहम्मद बरफत कहते हैं 'पान की तरह गुटखा चबाना बंटवारे से पहले सिंध के रिवाज में शामिल नहीं था. धीरे धीरे लोगों को पान की लत लगी.'

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