
बॉलीवुड बनाम साउथ के सवाल पर क्यों बोले Suniel Shetty, 'बाप हमेशा बाप ही रहता है'
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बीते दिनों साउथ सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू ने बॉलीवुड डेब्यू को लेकर विवादित बयान दिया था और कहा था कि बॉलीवुड मुझे अफोर्ड नहीं कर सकता. अब सुनील शेट्टी इस बहस में कूद पड़े हैं. उन्होंने बॉलीवुड बनाम साउथ इंडस्ट्री पर छिड़े विवाद पर रिएक्ट किया है.
साउथ और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में इन दिनों जुबानी जंग छिड़ी हुई है. दोनों ही खुद को बेहतर बताने में जुटी हैं. ये दोनों इंडस्ट्री आपस में इस कदर भिड़ गई हैं कि लगातार कलाकार इस बहस में जुड़ते चले जा रहे हैं. जहां इन दिनों साउथ का बोलबोला है. वहीं, बॉलीवुड भी इसमें पीछे नहीं. देखा जाए तो साउथ की फिल्में आज के समय में बॉलीवुड फिल्मों से ज्यादा कमाई कर रही हैं. बीते दिनों साउथ सिनेमा के सुपरस्टार महेश बाबू ने बॉलीवुड डेब्यू को लेकर विवादित बयान दिया था और कहा था कि बॉलीवुड मुझे अफोर्ड नहीं कर सकता. अब सुनील शेट्टी इस बहस में कूद पड़े हैं. उन्होंने बॉलीवुड बनाम साउथ इंडस्ट्री पर छिड़े विवाद पर रिएक्ट किया है.
सुनील शेट्टी ने किया रिएक्ट सुनील शेट्टी ने आजतक संग एक्स्क्लूसिव बातचीत में कहा, "मुझे लगता है कि बॉलीवुड बनाम साउथ इंडस्ट्री का सीन सोशल मीडिया पर क्रिएट किया गया है. हम भारतीय हैं और अगर ओटीटी प्लेटफॉर्म को देखा जाए तो वहां भाषा मैटर नहीं करती, कॉन्टेंट मैटर करता है. इसी तरह बॉलीवुड बनाम साउथ इंडस्ट्री का फर्क यही है. मैं भी साउथ से आता हूं, लेकिन मेरी कर्मभूमि मुंबई है तो मैं मुंबईकर कहलाया जाता हूं."
सुनील शेट्टी ने आगे कहा कि सच्चाई यह है कि ऑडियन्स यह निर्णय ले रही है कि कौन सी फिल्म उन्हें देखनी चाहिए और कौन सी नहीं देखनी चाहिए. मेरी परेशानी एक ही है कि हम शायद कहीं न कहीं ऑडियन्स को भूल चुके हैं. हम उन्हें सही ढंग से केटर नहीं कर रहे हैं. सिनेमा में हमेशा मुझसे लोग कहते हैं कि सिनेमा हो या ओटीटी, बाप, बाप रहेगा बाकी के फैमिली मेंबर्स, फैमिली मेंबर्स रहेंगे.
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सुनील शेट्टी ने आखिर में कहा कि 70 फीसदी भारत में ऑडियन्स ऐसी है जो थिएटर्स में अच्छे कॉन्टेंट को देखकर सीटी बजाती है. हीरो का शॉट, बैक शॉट होता है, हाई स्पीड वॉक होती है. मुझे लगता है कि हमें कॉन्टेंट पर काम करना चाहिए. बॉलीवुड हमेशा बॉलीवुड ही रहेगा. और इंडिया को पहचानेंगे तो बॉलीवुड के हीरोज को तो पहचान ही लेंगे न. यह समय को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं. यह एक ऐसी जर्नी है, जहां हमें दोबारा सोचना है और बेहतर कॉन्टेंट देना है.
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