
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिराने वालों को 1971 के योद्धाओं जैसा सम्मान, मिला 'जुलाई वॉरियर्स' का तमगा और टैक्स रिलीफ
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'जुलाई वॉरियर्स' को टैक्स में राहत ऐसे समय में दी गई है, जब यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई कार्रवाई में घायल और अपंग हुए प्रदर्शनकारियों की देखभाल करने के मामले में हर तरफ से आलोचना का सामना कर रही थी.
बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को गिराने वाले घायल प्रदर्शनकारियों को 'जुलाई वॉरियर्स' का तमगा दिया है और उन्हें '1971 मुक्ति संग्राम' के सेनानियों की तरह 2 साल के लिए 5.25 लाख टका तक की कर-मुक्त आय की पेशकश की है. यह राहत शेख हसीना विरोधी प्रदर्शनकारियों को 1971 के युद्ध में घायल हुए स्वतंत्रता सेनानियों के बराबर ला खड़ा करती है.
हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हुए लोगों को कर में यह राहत सोमवार को वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद द्वारा प्रस्तुत पहले बजट में दी गई. यह आवीमी लीग सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर हुए विद्रोह के कारण पूर्व पीएम शेख हसीना के निर्वासन में जाने के बाद बांग्लादेश का पहला बजट था. सरकार विरोधी इन हिंसक प्रदर्शनों में कथित तौर पर लगभग 1,500 लोगों की मौत हो गई थी.
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'जुलाई वॉरियर्स' को टैक्स में राहत ऐसे समय में दी गई है, जब यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पिछले वर्ष जुलाई-अगस्त में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई कार्रवाई में घायल और अपंग हुए प्रदर्शनकारियों की देखभाल करने के मामले में हर तरफ से आलोचना का सामना कर रही थी. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, 'बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने जुलाई वारियर्स नाम से पर्सनल इनकम टैक्स की एक नई कैटेगरी बनाई है, जो 2026-27 वित्तीय वर्ष से शुरू होकर अगले दो वर्षों के लिए 5,25,000 टका तक की आय पर टैक्स रिबेट प्रदान करती है.'
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रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 1971 के युद्ध में घायल हुए स्वतंत्रता सेनानियों के लिए कर-मुक्त आय सीमा 5 लाख टका से बढ़ाकर 5.25 लाख टका कर दी गई है. ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी में यूनुस सरकार ने आधिकारिक तौर पर 1,401 व्यक्तियों को 'जुलाई वॉरियर्स' के रूप में मान्यता दी थी, क्योंकि उन्होंने आवामी लीग सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भूमिका निभाई थी, जिसके कारण शेख हसीना को 5 अगस्त, 2024 को सत्ता छोड़नी पड़ी थी और बांग्लादेश से भागकर भारत में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था.

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