
'बांग्लादेश के खिलाफ प्रतिबंध...', मोहम्मद यूनुस की सरकार पर भड़के अमेरिकी सांसद
AajTak
बांग्लादेश में हिंदुओं समेत बाकी अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखते हुए अमेरिका से भी आवाज उठ रही है. भारतीय मूल के एक अमेरिकी सांसद ने कहा है कि अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए.
अमेरिका के एक प्रभावशाली सांसद ने कहा है कि बांग्लादेश में बढ़ते मानवाधिकार उल्लंघन को देखते हुए उस पर प्रतिबंध लगाए जाने चाहिए. भारतीय मूल के अमेरिकी सासंद श्री थानेदार ने अमेरिका के वित्त और विदेश विभाग से आग्रह किया कि वो बांग्लादेश के खिलाफ टार्गेटेड प्रतिबंध लगाएं और उन्हें लागू करें.
अमेरिका के विभिन्न हिस्सों से आए हिंदू अमेरिकियों की मौजूदगी में कैपिटल हिल के सामने अमेरिकी सांसद ने कहा, 'मैं वित्त और विदेश विभाग से आग्रह करता हूं कि वो बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ जघन्य अपराधों को अंजाम देने वालों पर प्रतिबंध लगाएं और उसे लागू करें.'
उन्होंने कहा कि जुलाई से बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा में बढ़ोतरी हुई है. हिंसा की वजह से ही शेख हसीना को इस्तीफा देकर देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. अमेरिकी सांसद थानेदार ने कहा, 'तब से हमने बांग्लादेश को राजनीतिक उथल-पुथल में डूबते देखा है. वहां की बहुसंख्यक मुस्लिम आबाद हिंदू, बौद्ध और ईसाई अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों को निशाना बना रही है.'
उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री (अंतरिम) मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में नई सरकार का गठन देश के लिए स्थायी शांति के लिए एक कोशिश है. हालांकि, इस नई सरकार के बारे में मेरी अपनी चिंताएं हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि हमारी सहायता से बांग्लादेश अंततः इन संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान पा लेगा.'
'अमेरिका हमेशा पीड़ितों की मदद...'
उन्होंने कहा कि अमेरिका हमेशा से पीड़ितों की मदद करता रहा है और इस मुद्दे पर भी ऐसा ही होना चाहिए. थानेदार ने कहा, 'जब हमसे कोई मदद मांगता है तो मानवाधिकारों का ध्वज वाहक होने के नाते हमें उचित तरीके से जवाब देना चाहिए. हमें मोहम्मद यूनुस से शांति बहाल करने, समानता और न्याय के सिद्धांतों पर राष्ट्र के पुनर्निर्माण के अपने वादे को पूरा करने का आग्रह करना चाहिए.'

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की खास बातचीत में आतंकवाद विषय पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए गए. इस बातचीत में पुतिन ने साफ कहा कि आतंकवादियों का समर्थन नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यदि आजादी के लिए लड़ना है तो वह कानून के दायरे में होना चाहिए. पुतिन ने ये भी बताया कि आतंकवाद से लड़ाई में रूस भारत के साथ मजबूती से खड़ा है.

जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'पंद्रह साल पहले, 2010 में, हमारी साझेदारी को स्पेशल प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा दिया गया था. पिछले ढाई दशकों में राष्ट्रपति पुतिन ने अपने नेतृत्व और विजन से इस रिश्ते को लगातार आगे बढ़ाया है. हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने हमारे संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ ग्लोबल सुपर एक्सक्लूसिव बातचीत की. आजतक से बातचीत में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि मैं आज जो इतना बड़ा नेता बना हूं उसके पीछे मेरा परिवार है. जिस परिवार में मेरा जन्म हुआ जिनके बीच मैं पला-बढ़ा मुझे लगता है कि इन सब ने मिलाकर मुझे वो बनाया है जो आज मैं हूं.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के साथ खास बातचीत में बताया कि भारत-रूस के संबंध मजबूत होने में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वपूर्ण योगदान है. पुतिन ने कहा कि वे पीएम मोदी के साथ काम कर रहे हैं और उनके दोस्ताना संबंध हैं. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत को प्रधानमंत्री मोदी के साथ काम करने पर गर्व है और वे उम्मीद करते हैं कि मोदी नाराज़ नहीं होंगे.

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.







