बगावत की वजह से चली न जाए विधायकी... अजित पवार और बागी MLAs के पास क्या है रास्ता?
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अजित पवार समेत बागी हुए एनसीपी के विधायकों की सदस्यता पर खतरा खड़ा हो गया है. शरद पवार के गुट वाली एनसीपी ने विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को चिट्ठी लिखकर इन विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. ऐसे में जानते हैं कि अब अजित पवार और उनके साथी विधायकों के पास अपनी विधायकी बचाने का रास्ता क्या है?
राजनीति में कुछ भी स्थाई नहीं होता...और ये बात महाराष्ट्र में एक बार फिर साबित हो गई है. एक साल पहले जैसी बगावत शिवसेना में हुई थी, वैसी ही अब शरद पवार की एनसीपी में हो रही है.
दो जुलाई को एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने बीजेपी-शिवसेना सरकार को समर्थन दे दिया. सरकार में शामिल होते ही उन्हें डिप्टी सीएम भी बना दिया गया. अजित के साथ एनसीपी के आठ और विधायक भी सरकार में शामिल होकर मंत्री बन गए.
लेकिन अब इन विधायकों पर 'अयोग्यता' का खतरा मंडराने लगा है. शरद पवार के गुट की एनसीपी ने बागी हुए इन सभी नौ विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. एनसीपी ने विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को चिट्ठी भी लिखी है. इस चिट्ठी में लिखा है कि इन विधायकों ने गुपचुप तरीके से दल-बदल किया और शरद पवार को न तो इसकी जानकारी थी और न ही उनकी सहमति थी, इसलिए संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत कार्रवाई करते हुए इन विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए.
हालांकि, विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने बताया कि दों गुटों की ओर से उन्हें कई लेटर भेजे गए हैं. जिस तरह से शरद पवार के गुट वाली एनसीपी ने इन बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. उसी तरह से अजित पवार के गुट वाली एनसीपी ने भी जयंत पाटिल और जितेंद्र अव्हाण की विधायकी रद्द करने की मांग की है.
आखिर कैसे जाती है सदस्यता?
- ये सदस्यता जाती है दल-बदल कानून से. इसे 1985 में राजीव गांधी की सरकार लेकर आई थी. इस कानून में प्रावधान है कि अगर पार्टी नियमों के खिलाफ कोई विधायक या सांसद पाला बदलता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है.
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