
बंगाल से लेकर दिल्ली तक... 'पीड़ित' हिंदुओं की आखिरी आस क्यों बनते जा रहे हैं योगी आदित्यनाथ?
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देश भर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गवर्नेंस मॉडल की डिमांड होती रही है. पर पिछले दिनों दिल्ली के सीलमपुर और पश्चिम बंगाल में दंगा पीड़ितों के बीच भी वो उम्मीद बनकर उभरे हैं. आखिर वो कौन से कारण हैं जिसके चलते पूरे देश में उनकी डिमांड बढ़ रही है?
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली पूरे देश में चर्चा का केंद्र रही है. पूरे देश ने उनके बुलडोजर मॉडल को अपनाया . बीजेपी के मुख्यमंत्री को तो खुलकर अपराधियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन लेते देखा ही गया, विपक्ष के मुख्यमंत्रियों ने भी इसका इस्तेमाल अपनी लोकप्रियता के लिए किया. कई बार ऐसा हुआ जब बीजेपी शासित राज्यों में मंत्रियों ने मांग की कि उनके राज्य में भी योगी मॉडल को अपनाया जाए. गवर्नेंस के योगी मॉडल की तूती का ही परिणाम है कि दंगा पीड़ितों की पुकार उनके लिए उठ रही है. दिल्ली के सीलमपुर दंगा प्रभावित एरिया रहा है. यहां बुधवार को एक हिंदू युवक की हत्या के बाद हिंदुओं में पलायन का डर सता रहा है. यहां की गलियों में लगे पोस्टरों में इस बात की तस्दीक हो रही है. पोस्टरों में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से योगी आदित्यनाथ से करुण पुकार लगाई गई है कि वे उन्हें यहां के लोगों से बचाएं.इसी तरह की डिमांड बंगाल से भी आई है. बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष सुवेंदु अधिकारी ने योगी से गुहार लगाई है कि वे मुर्शिदाबाद दंगा पीड़ित हिंदुओं से आकर मिलें. जाहिर है कि यह सवाल उठेगा ही कि लोगों में योगी आदित्यनाथ एक उम्मीद बनकर क्यों उभर रहे हैं?
'बंटोगे तो कटोगे' से लेकर दंगाइयों का इलाज डंडा तक
लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव योगी आदित्यनाथ की डिमांड पूरे देश के प्रत्याशी करते रहे हैं. हिंदी भाषी प्रदेशों की छोड़िए योगी की मांग पंजाब, बंगाल, सिक्किम और दक्षिण के राज्यों में तक होती रही है. सवाल यह है कि बीजेपी में हिंदुत्व की अवधारणा पर काम करने वाले नेताओं की कमी नहीं है. इसके बावजूद योगी आदित्यनाथ ही हिंदुओं के बीच आशा की किरण क्यों बने हुए हैं. दरअसल हिंदू हितों पर उनका खुलकर बिना लाग लपेट के बोलना सबको पसंद आ रहा है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के पहले जब बांग्लादेश में तख्ता पलट हुआ और हिंदुओं पर अत्याचार बढ़े तो योगी ने बंटोगे तो कटोगे का नारा दिया. माना जाता है कि इस नारे का हिंदू वोटर्स पर बहुत प्रभाव पड़ा था. मुर्शिदाबाद हिंसा के बाद उन्होंने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जमकर हमला बोला था. उन्होंने कहा कि बंगाल वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा से जल रहा है, लेकिन ममता बनर्जी चुप हैं और दंगाइयों को 'शांतिदूत' बता रही हैं. 'दंगाइयों का एक ही इलाज है- डंडा'. 'लातों के भूत बातों से नहीं मानते.' जाहिर है कि हिंदुओं को एक नेता ऐसा मिल गया है जो उनके दिल की बात को अपनी जबान दे रहा है. योगी कहते हैं कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा पर चुप हैं. दंगाई धमकी दे रहे हैं और बांग्लादेश की घटनाओं का समर्थन कर रहे हैं. अगर उन्हें बांग्लादेश इतना पसंद है, तो वहीं चले जाएं.' योगी यूपी का उदाहरण देते हैं कि '2017 से पहले यूपी में हर दूसरे-तीसरे दिन दंगे होते थे. अब दंगाइयों पर सख्ती से हालात काबू में हैं.
'योगी जी मदद करो' की गुहार
जाहिर उनके इस अंदाज के तुरंत बाद बंगाल के बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तुरंत बंगाल आकर हिंदुओं को बचाने के लिए कहा. दरअसल मुर्शीदाबाद हिंसा के बाद से ममता पर लगातार हमलावर चल रहे बीजेपी नेताओं को कुछ ऐसा नहीं मिल रहा था जिससे वो टीएमसी पर दबाव बना सकें. सुवेंदु जो बात अपनी जबान से नहीं कह पाए वो उन्होंने योगी को बुलाने की बात कहकर अपने समर्थकों का दिल जीत लिया होगा.

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