
फिल्में केवल बॉक्स ऑफिस नंबर्स पर सिमट कर रह गई हैं, शाहिद ने बताया कौन है जिम्मेदार..
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शाहिद कपूर इस दिनों अपनी वेब सीरीज फर्जी को लेकर चर्चा में हैं. शाहिद इसमें एक कॉन-मैन की भूमिका में नजर आ रहे हैं. इस मुलाकात में शाहिद हमसे थिएटर, ओटीटी और बॉक्स ऑफिस पर चर्चा करते हैं.
शाहिद कपूर को लगा था कि कबीर सिंह के बाद उनके करियर को एक नई दिशा मिलेगी, लेकिन अपने करियर के सबसे बड़ी हिट देने के बाद शाहिद के सामने कोविड का चैलेंज आ गया था. इस किस्से के अलावा शाहिद लगातार फ्लॉप हो रहीं हिंदी फिल्मों के प्रति चिंता जाहिर कर कहते हैं कि इसके लिए हमें कुछ करने की जरूरत है.
साउथ डॉमिनेशन और बॉक्स ऑफिस सक्सेस बॉलीवुड में साउथ इंडस्ट्री के डॉमिनेशन पर छिड़ी डिबेट पर शाहिद ने कहते हैं, 'मेरा यही कहना है कि पांच साल पहले तो आप साउथ की बात नहीं कर रहे थे. क्यों नहीं कर रहे थे क्या उस वक्त फिल्में हिट नहीं हो रही थी. आप लोग किस चीज की बात कर रहे थे, सिर्फ सक्सेस की.. क्वालिटी की बात कौन कर रहा था. मैं क्वालिटेटिव फिल्में कर चुका हूं, जो इतना पैसा नहीं कमाती है. मुझे लगता है कि पिछले कुछ सालों में फिल्में केवल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन और उसके नंबर्स तक आकर सिमट गई हैं.'
'हर चीज को उसकी सही कारणों के लिए अप्रीसियेट करना चाहिए. अगर कोई चीज चल गई, उसका ये मतलब नहीं है कि उसमें कोई खामी थी ही नहीं या फिर नहीं चली, तो उसका मतलब ये नहीं कि कोई अच्छा था ही नहीं. ये राइटऑफ करना और किसी को सिर पर चढ़ा लेना, एक ट्रेंड बन गया है. जो अच्छा नहीं है.'
'इससे ये होता है कि आर्टिस्ट को ये लगता है कि जब तक मैं सक्सेसफुल हूं, तभी लोग मुझे पसंद करते रहेंगे. ये बहुत ही डी-मोटिवेटिंग होता है. ऐसा नहीं होना चाहिए. मैंने तो पूरी फिल्म ही इसी सब्जेक्ट पर कर दी थी, जर्सी. जहां सक्सेस नहीं कोशिश को महत्व दिया जा रहा था. मैं इससे बहुत ही गहराई से कनेक्ट करता हूं. मेहनत तो मैंने हैदर में भी उतनी ही की थी, जितनी कबीर सिंह के लिए किया था. हम क्वालिटी को छोड़ केवल सक्सेस के बारे में बात कर रहे हैं. पहले ऐसा नहीं होता था, लोग बताते थे कि फिल्म अच्छी है या बुरी. लेकिन अभी तो फिल्म ने कितने करोड़ का बिजनेस किया. आज लोग केवल नंबर के पीछे भाग रहे हैं.'
अपनी गलतियों से बहुत कुछ सीखा है, शाहिद मानते हैं कि करियर के इस मुकाम पर उन्होंने कई गलतियां भी की हैं. अपनी जर्नी पर शाहिद ने कहा, 'मैं एक सेल्फमेड इंसान हूं. मुझे किसी ने प्लैटफॉर्म नहीं दिया था और न ही किसी की गाइडेंस या मेंटॉरशिप में काम किया है. मैंने कई लोगों से सीखा है. मेरे पापा जरूर एक्टर हैं, लेकिन मैं अपनी मां के साथ रहा था. मेरा एक्सपोजर काफी लिमिटेड रहा है. घर का बड़ा बेटा था, तो जिम्मेदारी भी थी. मैं बहुत पहले ही आत्मनिर्भर बन गया था. मेरी जर्नी में सबसे जरूरी बात यही रही है कि मैंने अपनी गलतियों से बहुत सीखा है. जब अपना हाथ जलता है, तब ही पता चलता है. अपनी गलतियों से ही सबक लेते हुए मैंने अपने काम के पैटर्न में बदलाव किया है.'
'मैंने सक्सेस और फेल्यॉर दोनों ही का स्वाद चखा है. आज जिस तरह मैं यंग जनरेशन को देखता हूं, तो हैरानी होती है. दो फिल्में नहीं चलती हैं कि वो डिप्रेशन में चले जाते हैं. मैं उनसे यही कहता हूं कि एक महीने में मेरी तीन फिल्में रिलीज हुईं और तीनों ही डिसास्टर रही. मैं ऐसे भी फेज से गुजरा हूं. देखो सक्सेस और फेल्यॉर मेरे कंट्रोल में नहीं है. लेकिन जो कंट्रोल में है, वो ये कि मैं एक अच्छी फिल्मों का चयन कैसे कर सकता हूं. कई बार स्क्रिप्ट्स आपको अच्छी लगती है, लेकिन फिल्म बनते वक्त वो सही नहीं होती, कई बार स्क्रिप्ट में दम नहीं होता, लेकिन फिल्म बनने के बाद वो खूबसूरत हो जाती है. इस फील्ड में कुछ भी निश्चित नहीं है.'

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