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पाकिस्तान से उसका आया संदेशा,जिसके पिता को मिल्खा सिंह ने हराया था

पाकिस्तान से उसका आया संदेशा,जिसके पिता को मिल्खा सिंह ने हराया था

The Quint
Sunday, June 20, 2021 06:06:02 PM UTC

पाकिस्तान के अब्दुल खालिक के बेटे मोहम्मद एजाज ने कहा कि मिल्खा सिंह का निधन भारत और पाकिस्तान के लिए बड़ा नुकसान है. Pakistan’s Abdul Khaliq’s son Mohammad Ejaz said demise of ‘Flying Sikh’ Milkha Singh is a huge loss for India and Pakistan.

‘फ्लाइंग सिख’ नाम से मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह ने 18 जून की रात इस दुनिया को अलविदा कह दिया. 1958 टोक्यो एशियाई खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर में स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा सिंह भारत ही नहीं, एशिया के सबसे मशहूर एथलीटों में से एक थे. उस दौर में उनके कट्टर प्रतिद्वंद्वी हुआ करते थे पाकिस्तान के अब्दुल खालिक. पाकिस्तान के दिग्गज एथलीट अब्दुल खालिक के बेटे ने मिल्खा सिंह के निधन पर कहा है कि उनका जाना, भारत और पाकिस्तान, दोनों के लिए बड़ा नुकसान है.अब्दुल खालिक के बेटे, मोहम्मद एजाज ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनके पिता और मिल्खा सिंह में काफी समानताएं थीं. मिल्खा सिंह का जन्म बंटवारे से पहले गोविंदपुरा में हुआ था. बंटवारे में उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया और फिर रिफ्यूजी बनकर भारत आए. उन्होंने तिहाड़ जेल में कुछ समय बिताया और रिफ्यूजी कैंप में भी रहे. एजाज बताते हैं कि उनके पिता, अब्दुल खालिक ने भी गरीबी देखी और कड़ी मेहनत से दुनिया के दिग्गज एथलीट बने.“मेरे पिता भी गरीबी से उठकर दुनिया के दिग्गज एथलीट बने थे. मिल्खा सर की ही तरह, उन्होंने भी सेना ज्वाइन की और वहां ट्रेनिंग और दौड़ने के लिए उनके पैशन ने मेरे पिता को 1956 से 1960 के दौरान एशिया का सबसे तेज शख्स बनाया.”मोहम्मद एजाजADVERTISEMENTएजाज ने 1960 में लाहौर में हुई 200 मीटर रेस का किस्सा याद करते हुए बताया कि इसमें मिल्खा सिंह के हाथों हारने के बाद उनके पिता ने एक शब्द नहीं बोला था. उन्होंने कहा, “1960 के समय, मेरे पिता करियर नीचे की ओर आ रहा था, फिर भी वो 100 और 200 मीटर रेस के मास्टर थे. उस रेस के एक दिन बाद, मेरे पिता ने 4x100 मीटर रिले रेस में भाग लिया. उन्हें और मिल्खा जी को अपने-अपने देशों के लिए आखिरी बार दौड़ना था. कहानी है कि मेरे पिता ने बैटन मिलने के बाद मिल्खा जी के पास आने इंतजार किया. जब वो पास आए तो उन्होंने कहा, “मिल्खा साहिब, अब जोर लगाना.” पूर्व एथलीट्स के मुताबिक पाकिस्तानी टीम जीती थी, और मेरे पिता को फिर से शोहरत मिल गई थी. दोनों के बीच इस तरह की प्रतियोगिता थी.”19 जून 2021 को चंडीगढ़ में हुआ मिल्खा सिंह का अंतिम संस्कार, बेटे जीव मिल्खा सिंह ने दी मुखाग्नि(फोटो: PTI)एजाज ने बताया कि उनके पिता को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरला नेहरू ने ‘फ्लाइंग बर्ड ऑफ एशिया&...
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