पाकिस्तान के थार रेगिस्तान में 'नख़लिस्तान' खोजने वाला शख़्स
BBC
थार रेगिस्तान के पाकिस्तान वाले हिस्से में मास्टर शहाब ने खारे भूजल से खेती शुरू की और लोगों को फलों के बाग लगाकर हैरत में डाल दिया.
उनकी क्या बात की जाए, उनकी ज़मीन पर तो ज़ीरा उगता है. जब भी सरहद पार भारत में रहने वाले रिश्तेदारों का ज़िक्र होता, तो अब्बा उनकी अमीरी का ज़िक्र इसी एक वाक्य से करते थे. शहाबुद्दीन समेजू कहते हैं कि उन्होंने अपना बचपन सीमा पार भारत में बसे अपने रिश्तेदारों के बारे में इसी तरह के क़िस्से सुनते हुए गुज़ारा है. उनका गांव डाहली तहसील के सखी सयार क्षेत्र में है. जनसंख्या के हिसाब से यह थारपारकर की दूसरी सबसे बड़ी तहसील है और भारत की सीमा से सटा हुआ है. सीमा के उस पार भारत का बाड़मेर जिला है, जो क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का पांचवां सबसे बड़ा जिला है. समेजो समुदाय पाकिस्तान और भारत की सीमा के दोनों ओर रहता है. भारत के विभाजन में केवल भूमि का ही नहीं, बल्कि लोगों का भी बंटवारा हुआ था. परिवार बंट गए थे. 14 अगस्त, 1947 की सुबह शहाब का गांव 'सखी सयार' पाकिस्तान के हिस्से में आया और 'ख़ानियानी' भारत के हिस्से में. स्थिति ऐसी बनी कि शहाब की फूफी ज़रीना तीन भाइयों की इकलौती बहन थी, जिनका विवाह ख़ानियानी गांव में हुआ था, अचानक विदेशी हो गईं.More Related News