नेतृत्व, एजेंडा और रणनीति? वैचारिक दुविधा में फंस कर रह गया कांग्रेस का चिंतन शिविर
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कांग्रेस का राजस्थान के उदयपुर में तीन दिन का चिंतन शिविर खत्म हो गया. माना जा रहा था कि कांग्रेस के इस चिंतन शिविर में पार्टी नेतृत्व, कांग्रेस के सामने मौजूदा चुनौतियों, 2024 लोकसभा चुनाव कैसे जीता जाए, जैसे मुद्दों पर रणनीति तैयार करेगी. लेकिन इस चिंतिन शिविर के बावजूद नेतृत्व की समस्या, चुनाव की रणनीति जैसे मुद्दे अनसुलझे रह गए.
चुनाव कैसे जीते जाते हैं? 2022 से 2027 तक कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा? बहुसंख्यकवाद और बाहुबल राष्ट्रवाद का मुकाबला कांग्रेस कैसे करना चाहिए?
उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिन का चिंतन शिविर चर्चा में रहा. जोशीले भाषण हुए, शब्दों की बाजीगरी हुई. देश की सबसे पुरानी पार्टी ने अपनी विशिष्ट शैली में जनता के साथ अलगाव के मुद्दे, एक शख्सियत की आवश्यकता (जी-23 द्वारा रखे गए सामूहिक नेतृत्व के विचार के विपरीत), बढ़ चढ़कर नेतृत्व जैसे मुद्दों पर चर्चा कि लेकिन इन अहम सवालों का जवाब देने में विफल रही.
कितना प्रभावशाली होगा राजनीतिक पैनल?
कुछ कांग्रेस नेता और राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस संसदीय बोर्ड [सीपीबी] के उद्देश्य को पूरा करने के लिए राजनीतिक मामलों के पैनल की नियुक्ति के कदम को गलत तरीके से देख रहे हैं. कांग्रेस के संविधान के अनुसार सीपीबी सुप्रीम पावर से लैस है. इसकी ताकत कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) से भी ज्यादा है. ऐसा माना जाता है कि सोनिया गांधी ने संदेश दिए हैं कि CWC से राजनीतिक मामलों की एक कमेटी बनाई जाएगी. इस समय CWC 57 भारी भरकम (24 के बजाय) सदस्यों वाला एक बॉडी है. लेकिन इस बॉडी में सचिन पायलट, कमल नाथ, डीके शिवकुमार, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भूपेश बघेल, अशोक गहलोत, पृथ्वीराज चव्हाण और कई अन्य ऐसे नेता शामिल नहीं हैं, जिनकी समाज और चुनावी राजनीति में मजबूत जड़ें मानी जाती हैं.
ऐसे में कांग्रेस नेताओं को खुद से पूछना चाहिए कि क्या पायलट, कमलनाथ, बघेल, हुड्डा, अशोक गहलोत, डीके शिवकुमार के बिना बनाया गया राजनीतिक मामलों का पैनल कितना प्रभावशाली होगा.
उदयपुर चिंतन शिविर: आधे-अधूरे निर्णय और विचार विमर्श
aajtak e-चुनाव के सर्वे में करीब सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से लगभग 73% लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लगातार तीसरी बार सत्ता में देखने की इच्छा जताई जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को लगभग 23% वोट मिले. करीब 4 फीसदी वोट अन्य को मिले. अगर इन वोटों को सीटों में बांट दिया जाए तो एनडीए को 397 सीटें मिलने का अनुमान है.
मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आज तक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने दावा किया कि BJP बड़े अंतर से जीतेगी. शिवराज ने ये भी कहा कि लोग इस अंतर को देखकर आश्चर्यचकित होंगे. उन्होंने दावा किया कि BJP छिंदवाड़ा सीट भी जीतेगी. उन्होंने यह भी बताया कि दक्षिण के राज्यों में BJP को सफलता मिलेगी.
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में एनडीए को 361-401 सीटें और इंडिया ब्लॉक को 131-166 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है. अन्य को 8 से 20 सीटें मिल सकती हैं. राज्यों की बात करें तो इस बार आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है. केरल में भी बीजेपी का खाता खुलने की उम्मीद है.