
नीतीश को इंडिया ब्लॉक के संयोजक के रूप में प्रपोज करना चाहती थीं पार्टियां, लेकिन हिंदी-हिंदुस्तान विवाद ने बिगाड़ दिया सारा गेम
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विपक्षी दलों के इंडिया अलायंस की दिल्ली में चौथी बैठक सबसे ज्यादा चर्चा में है. इसकी कई वजहें हैं. पहली यही कि ममता बनर्जी ने अचानक मल्लिकार्जुन खड़गे को विपक्ष का चेहरा बनाने का प्रस्ताव रखकर चौंका दिया. दूसरा- बैठक में नीतीश कुमार ने 'हिंदी-हिंदुस्तान' विवाद पर खुलकर नाराजगी जताकर दूसरों को हैरान कर दिया. सूत्र बताते हैं कि इंडिया अलायंस के कुछ सहयोगी दल संयोजक के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित करना चाहते थे. लेकिन, बाद में इस पर चर्चा नहीं हो सकी.
19 दिसंबर को इंडिया अलायंस में शामिल सभी 28 पार्टियों की दिल्ली में चौथी बैठक हुई. इस बैठक में दो घटनाक्रमों ने सभी का ध्यान खींचा है. पहला- पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तरफ से पीएम फेस के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करना और दूसरा- नीतीश कुमार का 'हिंदी-हिंदुस्तान' मुद्दे पर नाराज होना. सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार उस समय भड़क गए, जब डीएमके नेता टीआर बालू ने आरजेडी सांसद मनोज झा से बिहार के सीएम के भाषण का अंग्रेजी में अनुवाद देने का आग्रह किया था.
सूत्रों के अनुसार, बिहार के मुख्यमंत्री ने ना सिर्फ आरजेडी सांसद मनोज झा की खिंचाई की, बल्कि बैठक में यह भी कहा कि हर किसी को 'हिंदुस्तान में हिंदी' आनी चाहिए. सीएम कुमार की भावनाओं के अचानक फूटने से इंडिया ब्लॉक के कई नेता हैरान रह गए. इस बीच, बैठक के एक हफ्ते बाद जनता दल (यूनाइटेड) के भीतर के घटनाक्रम से नीतीश कुमार पर हर किसी की निगाहें टिकी हैं.
'नीतीश की नाराजगी के बाद आगे नहीं बढ़ सका प्रस्ताव'
इंडिया अलायंस में शामिल पार्टियों के शीर्ष सूत्रों ने बताया कि दिल्ली बैठक में कई वरिष्ठ नेताओं को इंडिया ब्लॉक के संयोजक पद के लिए नीतीश कुमार का नाम प्रस्तावित करना था. मीटिंग में मौजूद शीर्ष सूत्रों ने बताया कि ममता दीदी की तरफ से पीएम चेहरे के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम प्रस्तावित करने के बाद अगली बड़ी रणनीति नीतीश कुमार को बड़ी भूमिका देने की थी. कुछ नेताओं का मानना था कि बिहार के मुख्यमंत्री का नाम इंडिया ब्लॉक के संयोजक पद के लिए प्रस्तावित किया जाएगा. लेकिन, नीतीश कुमार ने बैठक में 'हिंदी-हिंदुस्तान' विवाद को उठा दिया, जिसके बाद अन्य लोगों ने प्रस्ताव पर चुप रहना बेहतर समझा.
नेता का कहना था कि नीतीश के अचानक नाराजगी जाहिर करने से उत्तर-दक्षिण विभाजन की बहस छिड़ गई और नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव करने के लिए परिस्थितियां बदल गईं. इस बीच, जेडीयू भी इन घटनाक्रमों से वाकिफ है.
'नीतीश को सबसे बता रहे हैं जेडीयू नेता'

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