दुबई में हिंदू मंदिर शिफ्ट किए जाने से मायूस हुए लोग! 75 साल से मौजूद था शिव मंदिर
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रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर के पास बहुत ज्यादा भीड़ हो जाने के कारण मंदिर परिसर को स्थानांतरित किया जा रहा है. मंदिर के चारों तरफ लगभग पांच सौ से छह सौ छोटी-छोटी दुकानें हैं जो पूरी तरह से मंदिर आने वाले भक्तों पर आश्रित हैं. सरकार के इस फैसले पर वहां के स्थानीय लोगों ने नाराजगी जताई है.
UAE के बुर दुबई स्थित एक प्रतिष्ठित और 75 साल पुराने शिव मंदिर परिसर को स्थानांतरित करने के फैसले पर वहां के स्थानीय लोगों ने निराशा जताई है. मंदिर प्रबंधन ने जनवरी 2024 से सभी भक्तों को जेबेल अली में बने नए हिंदू मंदिर में आने के लिए कहा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, छुट्टी के दिन इस मंदिर में दर्शन करने वालों की संख्या पांच हजार तक पहुंच जाती है. वहीं, त्योहार के समय यह संख्या 10 हजार तक पहुंच जाती है, जिससे यह जगह बहुत भीड़भाड़ वाली हो जाती है. इस भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को कई बार चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इसलिए इस मंदिर को स्थानांतरित किया जा रहा है. एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए मंदिर प्रबंधन ने इसकी पुष्टि की है कि 3 जनवरी 2024 से बुर दुबई स्थित शिव मंदिर परिसर को हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा. इसके अलावा सिंधी गुरु दरबार परिसर को भी 3 जनवरी से हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा. सभी भक्तों को जेबेल अली में बने नए हिंदू मंदिर में आना होगा, जिसका निर्माण पिछले साल ही हुआ है.
स्थानीय लोगों में नाराजगी
मंदिर के स्थानांतरण से स्थानीय लोग इसलिए भी नाराज हैं क्योंकि मंदिर के चारों तरफ लगभग पांच सौ से छह सौ छोटी-छोटी दुकानें हैं जो पूरी तरह से मंदिर आने वाले भक्तों पर आश्रित हैं. मंदिर परिसर के नजदीक रह रहे दिव्येश कुमार शाहोलिया का कहना है कि 1958 से मौजूद यह मंदिर हमारे लिए ईंटो और मोर्टार से कहीं अधिक है. इस मंदिर में मेरा बचपन बीता है. मेरी दादी शिव मंदिर और गुरुद्वारा परिसर में अन्य महिलाओं के साथ मालाएं बुनती थीं.
मंदिर परिसर के प्रवेश द्वार पर चिपकाए नोटिस से वहां के स्थानीय समुदाय में रोष है. नोटिस में कहा गया है कि 3 जनवरी 2024 से शिव मंदिर को जेबेल अली मंदिर में स्थानांतरित किया जा रहा है. नोटिस के बाद स्थानीय समुदाय में इसकी चर्चा जोरों पर है.
मंदिर परिसर और उसके आस-पास बिताए अपने पुराने दिनों को याद करते हुए वहां के स्थानीय लोग कह रहे हैं कि मंदिर को स्थानांतरित करना लगभग एक युग के अंत जैसा है.