
दांव ब्राह्मणों पर, दोष मुस्लिमों पर.. हार पर मायावती का बयान रणनीति है या मजबूरी?
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बसपा अपने सियासी इतिहास में सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा को करारी मात का सामना करना पड़ा है तो पार्टी का कोर वोटर जाटव समुदाय भी मायावती से छिटका है. सतीष मिश्रा के जरिए ब्राह्मणों को साधने का दांव मायावती चल रही थीं, लेकिन चुनाव के बाद हार के लिए मुस्लिमों को जिम्मेदार ठहरा रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि मायावती क्यों हार का ठीकरा मुस्लिमों पर फोड़ रही हैं?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी 'लूजर' बसपा को कहा जा रहा है. सूबे में बसपा का पूरी तरह से सफाया हो गया है, पार्टी को अपने अब तक के इतिहास में सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा है. बसपा को सिर्फ एक सीट मिली है, जो कि बलिया जिले के रसड़ा विधानसभा क्षेत्र से उमाशंकर सिंह ने हासिल की है. बसपा सूबे में अपना दल (एस), निषाद पार्टी, सुभासपा और आरएलडी जैसे छोटे दलों से भी पीछे रह गई है. बसपा की हार के लिए मायावती ने मुस्लिम समुदाय को जिम्मेदार ठहराया है. यहां तक कि उत्तराखंड के नतीजों के लिए भी बसपा ने मुस्लिम समाज के वोटरों को जिम्मेदार बताया है.
यूपी चुनाव नतीजे के दूसरे दिन शुक्रवार को मायावती ने बयान जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नतीजे बसपा की उम्मीद के विपरीत आए. मुस्लिम समाज ने उत्तर प्रदेश में बसपा से ज्यादा सपा पर भरोसा कर बड़ी 'भारी भूल' की है. मायावती ने कहा कि अगर मुस्लिम समाज का वोट दलित समाज के वोट के साथ मिल जाता तो जिस तरह से बंगाल में टीएमसी ने बीजेपी को धराशायी किया था, वैसे ही परिणाम यूपी में भी दोहराये जा सकते थे.
बसपा ही भाजपा को रोक सकती है- मायावती
मायावती ने दावा करते हुए कहा कि केवल बसपा ही उत्तर प्रदेश में भाजपा को रोक सकती है. बसपा के खिलाफ दुष्प्रचार से पार्टी को बहुत नुकसान हुआ. बसपा समर्थक उच्च जाति, पिछड़ा वर्ग समाज में यह संदेश गया कि सपा के सत्ता में आने से दोबारा जंगल राज आ जाएगा, जिससे लोगों का वोट बीजेपी की तरफ चला गया. बीजेपी के अति-आक्रामक मुस्लिम-विरोधी चुनाव प्रचार से मुस्लिम समाज ने सपा को एकतरफा वोट दे दिया तो मेरे खुद के समाज को छोड़कर दलित और बाकी सभी हिंदू समाज ने बीजेपी को वोट दे दे दिया. मायावती ने कहा कि मुस्लिम समाज के इस रुख से सीख लेकर इस कड़वे अनुभव को खास ध्यान में रखकर बसपा अब अपनी रणनीति में बदलाव करेगी.
मुसलमानों को ही जिम्मेदार क्यों ठहरा रहीं मायावती?
वरिष्ठ पत्रकार फिरोज नकवी aajtak.in से बातचीत करते हुए कहते हैं कि हार के लिए मायावती अपने कोर वोटर को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती हैं. ऐसे में हार के लिए किसी न किसी को तो जिम्मेदार ठहराना ही था, जिसके लिए मुस्लिमों के जिम्मे मढ़ दिया. ये हकीकत भी है कि एक दो सीटों को छोड़ दें तो मुस्लिमों ने बसपा को वोट नहीं दिया. बसपा को वोट न देने की वजह भी रही है, क्योंकि मुस्लिम समुदाय यूपी चुनाव को दो ध्रुवी रखना चाहता था. मायावती का राज्यसभा और एमएलसी चुनाव व तमाम मुद्दों पर प्रो-बीजेपी होने के चलते मुस्लिम समुदाय ने बसपा से दूरी बनाई और सपा उनकी पहली पसंद बनी.

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