
ट्रेड वॉर का हथियार बन गया है ट्रंप का 'मेक इन अमेरिका' प्रोजेक्ट... क्या भारत के बिना अकेले चल पाएगा US?
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'मेक इन अमेरिका' ट्रंप के पहले कार्यकाल का प्रोजेक्ट था. दूसरी पारी में ट्रंप इस नीति को लेकर अतिमहात्वाकांक्षी हो गए हैं. उन्होंने अमेरिकी की व्यापार नीति को विदेश नीति के साथ जोड़ दिया है और दुनिया को अपने तरीके से हांकने की कोशिश कर रहे हैं. 21 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था और $41,071 की प्रति व्यक्ति आय के साथ उन्नत तकनीक, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और नवाचार अमेरिका की ताकत है. लेकिन इस ताकत को ट्रंप दादागीरी का अधिकार मान बैठे हैं.
'मेक इन इंडिया'और 'मेक इन अमेरिका' दोनों ही महात्वाकांक्षी पहल हैं. जो अपने-अपने देशों में विनिर्माण को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने के लिए शुरू की गई हैं. इन दोनों योजनाओं का कमोबेश लक्ष्य घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना, आयात पर निर्भरता कम करना और नौकरियां पैदा करना है. यहां तक तो दिक्कत की कोई बात नहीं लगती है. लेकिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अति महात्वाकांक्षा ने 'मेक इन अमेरिका' को यूनाइटेड स्टेट्स का व्यापार युद्ध बना दिया है. वे 'मेक इन अमेरिका' के उद्देश्य को टैरिफ वॉर के जरिये हासिल करना चाहते हैं.
'मेक इन अमेरिका' अगर अमेरिका का महज व्यापारिक एजेंडा रहता तो कोई बात नहीं थी लेकिन ट्रंप ने इस जिओ स्ट्रैटेजिक एजेंडे में बदल दिया है और इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए वे दुनिया के देशों की विदेश नीति को अपने माफिक चलाना चाहते हैं. भारत का रूस से कच्चे तेल की खरीद को दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश की जरूरतों के चश्मे से देखने के बजाय इसे यूक्रेन जंग के चश्मे से देखना, ट्रंप की इसी नीति का हिस्सा है.
ट्रंप को लगता है कि अमेरिका ने पिछले कुछ सालों में अपने व्यापारिक साझीदारों को गैर जरूरी रियायतें दे दी है. इसके लिए वे पूर्व राष्ट्रपति और डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडेन की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हैं. वे इसे हर हाल में रिवर्स करना चाहते हैं.
चिप्स से लेकर जहाज तक सब अमेरिका में...
यूं तो ट्रंप ने 'मेक इन अमेरिका' नीति की शुरुआत अपने पहले कार्यकाल के दौरान 2017 में ही की थी. लेकिन 2025 में दूसरी पारी के साथ ट्रंप इस नीति को लेकर आक्रामक और जिद्दी हो गए.
इस पॉलिसी का लक्ष्य है "चिप्स से लेकर जहाजों तक" सब कुछ अमेरिका में बनाना. 21 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था और $41,071 की प्रति व्यक्ति आय के साथ उन्नत तकनीक, विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा और नवाचार अमेरिका की ताकत है. ये ताकत अमेरिका को अंतरराष्ट्रीय संधियों, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं और प्रचलित व्यापारिक मान्यताओं का न मानने की दादागीरी करने का भी अधिकार दे देती है.

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