टेक कंपनियों पर कसता शिकंजा, डिजिटल संप्रभुता या लोकतंत्र पर ख़तरा?
BBC
भारत दुनिया के कई दूसरे देशों की तरह टेक कंपनियों पर क़ानूनी बंदिशें लगा रहा है जिनसे जुड़ी बहस को समझना हर इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले के व्यक्ति के लिए ज़रूरी है
भारत में सोशल मीडिया और ऑनलाइन कंटेंट पर कंट्रोल से जुड़े नए नियमों की ख़ासी चर्चा हो रही है. जहाँ एक तरफ़ सरकार इसे डिजिटल संप्रभुता का सवाल बता रही है, वहीं कई लोगों का कहना है कि ऐसे क़दम सरकारी जकड़बंदी को बढ़ाएँगे जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. लेकिन अगर ग़ौर से देखा जाए तो असल में दुनिया भर में ऐसे नियमों को लागू करने का रुझान बढ़ रहा है. 26 मई से लागू हुए सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 से यूज़र्स की प्राइवेसी पर प्रहार और ट्विटर जैसी सोशल मीडिया कपंनियों के स्टाफ़ के ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमों का ख़तरा बढ़ गया है. भारत में सोशल मीडिया कंपनियों को डर है कि उनका हाल इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर जैसा हो सकता है जिन पर प्रशासन जब चाहे अंकुश लगाता रहता है. किसी शहर या राज्य में कानून-व्यवस्था के तहत उठाए गए क़दमों में इंटरनेट सुविधाएं बंद करा देना भी शामिल हो गया है.More Related News