
जब मंदी के चलते करण टैकर से छिन गया घर, बिजनेस हुआ ठप्प, फिर...
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इंटरव्यू के दौरान करण टैकर ने कहा कि मंदी के समय में उनके परिवार पर काफी कर्ज हो गया था. 36 साल के करण बताते हैं कि उन्होंने घर चलाने के लिए नौकरी की तलाश करना शुरू कर दिया था. करण बताते हैं कि उनका घर तक उनसे छिन गया था.
टीवी एक्टर करण टैकर काफी समय से अपनी सीरीज को लेकर चर्चा में हैं. नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई सीरीज 'खाकी: द बिहार चैप्टर' में करण के परफॉरमेंस को खूब पसंद किया गया था. अब करण ने एक इंटरव्यू में बताया है कि उनका करियर हमेशा से स्टेबल नहीं था. एक्टर बनने से पहले करण टैकर अपने परिवार का बिजनेस चलाया करते थे. ऐसे में उन्हें साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
मंदी के समय में आई दिक्कतें
इंटरव्यू के दौरान करण टैकर ने कहा कि मंदी के समय में उनके परिवार पर काफी कर्ज हो गया था. 36 साल के करण बताते हैं कि उन्होंने घर चलाने के लिए नौकरी की तलाश करना शुरू कर दिया था. वो बताते हैं, 'मेरे पिता के साथ मेरा बिजनेस था. 2008 में दुनिया में आर्थिक मंदी आई और तभी मेरा सारा बिजनेस ठप्प पड़ गया. एक परिवार के तौर पर हमारे लिए खर्च चलाना बेहद मुश्किल हो गया था. उस समय मैंने नौकरी ढूंढना शुरू किया था. मेरी पढ़ाई-लिखाई के हिसाब से मुझे शायद 25 हजार की नौकरी मिलती, जो उस समय हमारे कर्ज के हिसाब से बेहद कम थी.'
अपने बिजनेस के बारे में करण टैकर बताते हैं, 'हमारे कपड़ों के कुछ स्टोर थे, जो बंद हो गए थे. मुझे मेरे स्टॉक्स बेचने पड़े थे क्योंकि मेरे पास स्टॉक्स को रखने के लिए जगह नहीं थी. मैंने 'एक पर छह मुफ्त' का साइन लगाकर सबकुछ बेचा था. मुझे अपना घर छोड़ना पड़ा था.'
दुख के दिनों को शोबिज ने किया दूर
करण के लिए चीजें तब बेहतर हुईं जब उन्होंने शोबिज में कदम रखा. हालांकि इंडस्ट्री में कदम जमाना भी उनके लिए आसान नहीं था. वो बताते हैं, 'मैंने ज्यादा पैसे देने वाली नौकरियों की तलाश शुरू कर दी थी. मैंने एयरलाइन में खाना बनाने वाले की नौकरी के लिए अप्लाई किया था, क्योंकि उसकी महीने की सैलरी डेढ़ लाख रुपये थी. मुझे घर चलाने के लिए उस समय पैसों की जरूरत थी. फिर मुझे एक फेस क्रीम का विज्ञापन मिल गया, जिससे मुझे ढेरों पैसे मिले. मुझे 13 लाख रुपये मिले थे. 12 साल पहले, 22 दिन काम करने के 13 लाख रुपये बहुत बड़ी बात थी. मैंने अपने पिता को कहा था कि मुझे यही करना है, क्योंकि यही नौकरी हमारे बुरे दिनों से हमें बाहर निकालेगी.'













