चिराग के अपनों ने दिया बागी चाचा का साथ, पारस की पीठ पर किसका हाथ?
The Quint
LJP तख्तापलट: पांच सांसदों ने लोकसभा में पार्टी प्रमुख चिराग के खिलाफ बगावत करते हुए मोर्चा खोल दिया है. 5 Lok Janshakti Party MPs in the Lok Sabha have rebelled against party chief Chirag Paswan, sacking him as the head of the parliamentary party.
बिहार की राजनीति में एक नया रंग देखने को मिल रहा है. लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) (LJP) के छह में से पांच सांसदों ने लोकसभा में पार्टी प्रमुख चिराग पासवान (Chirag Paswan) के खिलाफ बगावत करते हुए मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने चिराग को संसदीय दल के प्रमुख के पद से भी बर्खास्त कर दिया है. LJP में हुए इस पूरे तख्तापलट का नेतृत्व चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस ने किया है. वहीं आरोप यह भी लगाए जा रहे हैं कि यह पूरा घटनाक्रम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारों पर किया गया है. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला...एलजेपी (LJP) के संस्थापक रामविलास पासवान की मौत और चिराग पासवान द्वारा पार्टी की बागडोर संभालने के आठ महीने बाद इस घटना की वजह से पार्टी में उथल-पुथल मच गई है.जिन पांच सांसदों ने बागी तेवर दिखाए हैं उनमें पशुपति पारस (हाजीपुर), चंदन कुमार सिंह (नवादा), महबूब अली कैसर (खगरिया), वीना देवी (वैशाली) और प्रिंस राज (समस्तीपुर) शामिल हैं.इन सभी ने पारस को अपना नया नेता और कैसर को लोकसभा में अपना नया उप नेता घोषित कर दिया है.इस लेख में हम तीन पहलुओं पर गौर करने का प्रयास करेंगे :कैसे पासवान परिवार की आंतरिक कलह ने इस तख्तापलट में योगदान दिया?क्या इसमें नीतीश कुमार और जनता दल (यूनाइटेड) JDU की भूमिका थी?चिराग पासवान और बिहार की राजनीति के लिए आगे क्या है?पारिवारिक कलहकहा जाता है कि 2020 बिहार चुनाव के पहले ही इस कलह के बीज बोए गए थे. उस समय रामविलास पासवान जीवित थे. उन्होंने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि चिराग पासवान ही उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी होंगे, लेकिन इसके साथ-साथ उन्होंने अपने पारिवारिक सदस्यों जैसे भाई पशुपति कुमार पारस और रामचंद्र पासवान के बीच प्रभाव का उचित बंटवारा कर दिया था. 2019 में रामचंद्र की मौत के बाद उनके बेटे प्रिंस राज को समस्तीपुर सीट सौंप दी गई थी.हालांकि रामविलास की मौत के बाद चिराग के बारे में कहा जाता है कि वह अपने कामकाज में एकतरफा हो गए थे. चिराग अपने सहयोगियों के छोटे से सर्कल पर पूरी तरह से निर्भर थे. वहीं दूसरी ओर उनके ही एक विशेष सहयोगी के खिलाफ कई सारी शिकायतें को पाया गया, ये सहयोगी ही पार्टी में पावर का बड़ा केंद्र बना गया है.चुनाव प्रचार के दौरान भी चिराग ने पारस को दरकिनार कर दिया था. जाहिर है इससे भी प...More Related News