
घुसपैठ पर ट्रंप का बड़ा कदम, 200 साल पुराना एक्ट किया लागू, क्या इसके जरिए शत्रु देशों पर दबाव बनाएगा अमेरिका?
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जैसे ही लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप अब चौंकाना बंद कर देंगे, कोई नया फैसला एकदम से फिर हैरान कर देता है. डिपोर्टेशन के क्रम में उन्होंने बड़ा निर्णय लेते हुए एलियन एनीमीज एक्ट लागू कर दिया, वो भी कोर्ट के मना करने के बाद. रविवार को इसके तहत वेनेजुएला के सैकड़ों लोगों को अल-सल्वाडोर भेज दिया गया, जो कथित तौर पर एक आतंकी गुट से जुड़े हुए थे.
अमेरिका में लगभग सवा दो सौ साल पहले बना एलियन एनीमीज एक्ट अब काम में आ रहा है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल में इसे लागू करते हुए वेनेजुएला के सैकड़ों लोगों को देश से निकाल दिया. ट्रंप के मुताबिक, ये वे लोग थे जो वेनेजुएला के आतंकी गिरोह 'ट्रेन डे अरागुआ' के जरिए उनके ही देश में पनाह लेकर आतंकी गतिविधियों में लगे हुए थे.
क्या है एलियन एनीमीज एक्ट का इतिहास 18वीं सदी की शुरुआत से ठीक पहले की बात है, नए-नए आजाद हुए अमेरिका के ब्रिटेन जैसे देश से रिश्ते बनने लगे. ये बात फ्रांस को नागवार गुजरी. वो बात-बात पर रोकने-टोकने लगा, और कुछ हद तक हिंसक भी हो गया. यूएस को अहसास था कि फ्रांस से उसकी बड़ी लड़ाई हो सकती है. सरकार को ये डर भी था कि खुद उसके यहां रुके हुए लोग फ्रांस का साथ देंगे. दरअसल ये फ्रेंच लोग थे, जो व्यापार के लिए यूएस में रहते थे. सरकार को यकीन था कि जंग हुई तो ये लोग फ्रांस के लिए जासूसी कर सकते हैं.
इसी डर की वजह से एलियन एनीमीज एक्ट बना. इस कानून ने राष्ट्रपति को युद्ध के समय एक खास ताकत दी कि वे किसी भी विदेशी नागरिक को कैद कर सकते या देश से बाहर निकाल सकते थे. मतलब, अगर अमेरिका किसी देश से युद्ध कर रहा हो और उस देश का कोई व्यक्ति अमेरिका में रह रहा हो, तो सरकार उसे खतरा मानकर हिरासत में ले सकती है.
तीन बार ही हुआ इस्तेमाल
वैसे ये कोई ऐसा नियम नहीं था, जो रुटीन में इस्तेमाल हो. यही वजह है कि अब तक सिर्फ तीन बार ही एलियन एनीमीज एक्ट का उपयोग हुआ. पहली बार साल 1812 में, जब अमेरिका और ब्रिटेन में लड़ाई हुई थी, ब्रिटिश नागरिकों को हिरासत में लिया गया था. दूसरी बार, पहले वर्ल्ड वॉर में जर्मन्स को पकड़ा गया. तीसरी बार सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान. यही वो वक्त था जब इस कानून ने सबसे ज्यादा असर डाला. जब जापान ने पर्ल हार्बर पर हमला किया, तो अमेरिका में जापान के लोगों को शक से देखा जाने लगा और आनन-फानन एक लाख से ज्यादा जापानी मूल के लोग हिरासत में ले लिए गए थे.

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