
खालिस्तान आंदोलन का नेटवर्क कितना फैला हुआ है? समझें कैसे PAK, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया में खाद-पानी मिल रहा
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खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे का चीफ अमृतपाल सिंह अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है. उसकी धरपकड़ के लिए लगातार छापेमारी जारी है. वहीं अमृतपाल के खिलाफ पुलिस एक्शन के विरोध में लंदन और अमेरिका में भी आवाज उठने लगी है. पता चला है कि विदेश में बैठे खालिस्तान समर्थक एक्टिव हो गए हैं. आइए जानते हैं कि भारत के बाहर खालिस्तानियों का कितना बड़ा साम्राज्य है, उन्हें कहां से फंडिंग होती है.
पंजाब में तनाव बना हुआ है. यहां इंटरनेट बैन है, धारा-144 लागू, बॉर्डर सील हैं, चप्पे-चप्पे पर नाकाबंदी-चेकिंग जारी है. वजह है महज 30 साल का लड़का. सिर पर नीले तो कभी पीले रंग की पगड़ी और हाथ में तलवार उसकी पहचान है. 12वीं तक पढ़ाई फिर दुबई में ट्रक ड्राइवर बना लेकिन जब भारत लौटा तो एक मकसद के साथ- ‘राज करेगा खालसा’. इसने पाकिस्तान के मंसूबों को पूरा करने के लिए गुरु गोविंद सिंह के इस पाक नारे को अपनी साजिश का हथियार बना लिया. उसके भारत आने के कुछ दिन बाद पता चला कि एक कम उम्र का युवक 'वारिस पंजाब दे' (Waris Punjab De) का सरदार बन गया है. यह कोई और नहीं, दुबई से लौटा वही लड़का था. इसका नाम है अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh). पिछले चार दिन से पूरे पंजाब की पुलिस और इंटेलिजेंस इसे पकड़ने में जुटी हुई है. उसे भगोड़ा तक घोषित कर दिया गया है.
अमृतपाल कट्टर खालिस्तान (Khalistan) समर्थक है. इसके इरादे जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही हैं, इसलिए इसे भिंडरावाले 2.0 कहा जा रहा है. अमृतपाल के खिलाफ चल रही पुलिस की कार्रवाई का विरोध भारत की सरहद को पार कर गया है. रविवार शाम को लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर खालिस्तानियों ने जमकर प्रदर्शन किया. इतना ही नहीं उन्होंने दूतावास पर लगे तिरंगे का भी अपमान किया.
पाकिस्तान से जुड़े हैं अमृतपाल के तार
खुफिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमृतपाल के तार पाकिस्तान में छुपे आतंकी बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीएआई) के प्रमुख परमजीत सिंह पम्मा से जुड़े हैं. यह संगठन कनाडा, जर्मनी और इंग्लैंड में एक्टिव है. अमृतपाल के लिंक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होने की बात कही जा रही है. यह भी चर्चा है कि अमृतपाल को आईएसआई के इशारे पर बीकेआई का हैंडलर बनाकर पंजाब भेजा गया है. कहा जाता है कि अमृतपाल के समर्थकों की संख्या विदेश में भी ज्यादा है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि विदेश में खालिस्तानियों का विरोध तेज हो सकता है. अमृतपाल के घटनाक्रम से एक बार फिर 'खालिस्तान' (खालसाओं का देश) चर्चा में आ गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि इन खालिस्तानियों का साम्राज्य कितना बड़ा है, ये कहां तक फैले हुए हैं?

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