
क्रिमिनल लॉ में बदलाव की तैयारी, सरकार ने बनाई कमेटी, सुधार के लिए मांगे सुझाव
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लोकसभा में एक लिखित सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि क्रिमिनल लॉ में सुधार के लिए एक समिति गठित की गई है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जज के साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, बार काउंसिल से भी सुझाव मांगे गए हैं.
संसद के चालू बजट सत्र के दूसरे चरण के दूसरे दिन की कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ गई. प्रश्नकाल की शुरुआत के साथ ही सदन में हंगामा हो गया जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी. इस दौरान कुछ लिखित सवाल सदन में पेश किए गए जिनके सरकार की ओर से लिखित जवाब दिए गए.
एक सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा है कि आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए एक कमेटी गठित की गई है. सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट्स के जज, सांसदों से कॉम्प्रिहेंसिव संशोधन के लिए सुझाव मांगे गए हैं. गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ने लोकसभा में दिए लिखित जवाब में जानकारी दी कि समिति की कमान नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलपति को सौंपी गई है.
गृह राज्यमंत्री की ओर से लिखित जवाब में ये जानकारी दी गई है कि ये समिति आईपीसी 1860 के साथ ही कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर 1973 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 में संशोधन के लिए सुझाव देगी. उन्होंने ये भी बताया है कि गृह मंत्रालय ने राज्यपाल, उपराज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अलग-अलग राज्यों के बार काउंसिल से भी सुझाव मांगे गए हैं.
गृह राज्यमंत्री की ओर से लोकसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक अलग-अलग विश्वविद्यालयों, लॉ इंस्टीट्यूट्स से भी आपराधिक कानूनों में सुधार के लिए सुझाव मांगे गए हैं. उन्होंने अपने लिखित जवाब में ये भी कहा है कि सरकार समिति की सिफारिश, सभी स्टेकहोल्डर्स से मिले सुझाव का ध्यान रखते हुए व्यापक एक व्यापक कानून लाने के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने ये भी कहा है कि इस तरह के कानूनों के निर्माण की कवायद जटिल और लंबी है. इसमें स्टेकहोल्डर्स के अलग-अलग विचार होते हैं. इन सबका ध्यान रखते हुए कानून का निर्माण करना एक लंबी कवायद है. गृह राज्यमंत्री ने ये भी कहा है कि इसके लिए किसी समय सीमा का निर्धारण नहीं किया जा सकता. वहीं, पुलिस को लेकर एक सवाल का गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लिखित जवाब दिया.
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