कौन बनेगा असम का मुख्यमंत्री? फाइनल नाम तय करने को लेकर दुविधा में बीजेपी
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बीजेपी को मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राज्य के एक और दिग्गज नेता हिमंत बिस्वा सरमा में से किसी एक नाम पर मुहर लगानी है. ऐसे में देखना है कि मौजूदा मुख्यमंत्री सोनोवाल और बिस्वा सरमा के बीच पलड़ा किस की तरफ झुकता है. फिलहाल बिस्वा सरमा दौड़ में बेशक थोड़ा आगे नजर आते हैं लेकिन असली तस्वीर पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक में ही साफ होगी.
असम में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन की जीत के बाद अब मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए कवायद जारी है. बीजेपी नेतृत्व में इसके लिए मंथन चल रहा है. पार्टी को मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राज्य के एक और दिग्गज नेता हिमंत बिस्वा सरमा में से किसी एक नाम पर मुहर लगानी है. ये दिलचस्प था कि बीजेपी ने चुनावी रणनीति के तहत सर्वानंद सोनेवाल को राज्य विधानसभा चुनाव में चेहरा नहीं बनाया था. बीजेपी गठबंधन ने असम में स्पष्ट बहुमत के साथ जीत हासिल कर अपनी सरकार तो बरकरार रखी है, लेकिन अब उसके सामने मुख्यमंत्री चुनने की बड़ी चुनौती है. सूत्रों की मानें तो सोनोवाल को चुनाव में चेहरा नहीं बनाने के पीछे हिमंत बिस्वा सरमा की इस पद के लिए मजबूत दावेदारी ठोकना रहा. असम सरकार में मंत्री और नॉर्थईस्ट में बीजेपी के संकटमोचक हिमंत बिस्वा सरमा के बारे में बीजेपी नेतृत्व को ये अच्छी तरह पता था कि उनकी ज़मीनी पकड़ और लोकप्रियता मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनेवाल से कहीं ज़्यादा हैं. पार्टी चुनाव में कोई गुटबाजी नहीं चाहती थी, इसलिए पार्टी ने बीच का रास्ता निकाला. बीजेपी ने सोनोवाल और बिस्वा सरमा में से किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया और पार्टी दोनों नेताओं के साझा नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरी.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.