
कुंभ में छाए ‘चाय वाले रामबाबू’, अब खाटूश्याम मेले में दिखा जलवा, भक्त ले रहे हैं चायवाले के संग सेल्फी!
AajTak
कुंभ मेले में चाय बेचकर सोशल मीडिया पर धूम मचाने वाले रामबाबू अब खाटू श्याम मेले में भी अपने हाथों की चाय का जलवा बिखेर रहे हैं. बड़ी केतली हाथ में लिए, घंटों पैदल घूमकर भक्तों को चाय पिलाने वाले रामबाबू अब श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं.
कुंभ मेले में चाय बेचकर सोशल मीडिया पर धूम मचाने वाले रामबाबू अब खाटू श्याम मेले में भी अपने हाथों की चाय का जलवा बिखेर रहे हैं. बड़ी केतली हाथ में लिए, घंटों पैदल घूमकर भक्तों को चाय पिलाने वाले रामबाबू अब श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बन चुके हैं.
रामबाबू का नया सफर – कुंभ से खाटू तक! उत्तर प्रदेश के रहने वाले रामबाबू पेशे से मजदूर हैं, लेकिन कुंभ मेले में चाय बेचकर जो कमाई हुई, उसने उन्हें खाटू श्याम मेले तक खींच लाया. राजस्थान तक से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि भले ही खाटू में कुंभ जैसी भीड़ नहीं है, लेकिन चार-पांच दिन में करीब 30 हजार रुपये कमा ही लेंगे.
'मेहनत की कोई उम्र नहीं होती' रामबाबू का मानना है कि मेहनत की कोई सीमा नहीं होती, न ही उम्र की कोई बंदिश. इस उम्र में भी वे पूरे जोश के साथ चाय पिलाकर अपना परिवार चला रहे हैं. उनका कहना है कि अगर खाटू में भी अच्छी कमाई हुई, तो वे आगे भी बड़े मेलों में चाय बेचने जाएंगे.
भक्तों के बीच सेल्फी स्टार बने रामबाबू! खाटू श्याम मेले में रामबाबू सिर्फ चाय ही नहीं बेच रहे, बल्कि भक्तों के साथ फोटो और सेल्फी में भी छाए हुए हैं. कई श्रद्धालु उनके साथ तस्वीरें खिंचवा रहे हैं, जिससे वे फिर से सोशल मीडिया सेंसेशन बनते दिख रहे हैं.
राजस्थान के सीकर जिले के खाटू में वार्षिक फाल्गुनी मेला लगता है.
राजस्थान के प्रसिद्ध खाटू श्याम जी मंदिर में हर साल लगने वाला फाल्गुनी लक्खी मेला 2025 की शुरुआत 1 मार्च से हुई थी. भक्तों के लिए यह मेला आध्यात्मिक आस्था और भक्ति का केंद्र माना जाता है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं.

Surya Mangal Yuti 2025: 16 दिसंबर को धनु राशि में बनेगी सूर्य-मंगल की युति, इन राशियों को होगा फायदा
Surya Mangal Yuti 2025: धनु राशि में बन रही सूर्य-मंगल की शक्तिशाली युति कई राशियों के जीवन में नई ऊर्जा, बदलाव और नए अवसर लेकर आ रही है. करियर, धन, रिश्ते और आत्मविश्वास से जुड़े मामलों में भी बड़ा सुधार देखने को मिल सकता है.

क्या आपने कभी गौर किया है कि दुनिया का कोई भी बड़ा नेता-चाहे वह अमेरिकी राष्ट्रपति हो या फ्रांस का प्रमुख भारत पहुंचते ही सबसे पहले हैदराबाद हाउस ही क्यों जाता है? इसकी वजह सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक ऐसा शाही अतीत है जिसमें निजाम की रईसी, ब्रिटिश दौर की राजनीतिक जटिलताएं और आजादी के बाद भारत की उभरती कूटनीतिक पहचान तीनों के निशान गहराई से दर्ज हैं.











