
करण जौहर ने खोला फिल्मों के रिव्यू और रेटिंग्स बढ़ाने का राज, 'इन क्रिटिक्स ने खुद अपना नाम नहीं सुना होता'
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बॉलीवुड फिल्ममेकर करण जौहर ने बॉलीवुड के पीआर सिस्टम को लेकर तगड़ा खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि मेकर्स फिल्मों के लिए माहौल बनाने को लेकर किस हद तक जा सकते हैं. करण ने ये राज भी खोला कि कैसे वो अपने लोग भेजकर फिल्मों की तारीफ करवाते हैं.
बॉलीवुड के टॉप फिल्ममेकर्स में से एक करण जौहर ने एक बार फिल्मों की रेटिंग वाले सिस्टम की पोल खोलकर लोगों को चौंका दिया था. करण ने बताया था कि कैसे फिल्म की रिलीज से पहले वि वो अलग-अलग स्टार रेटिंग्स वाले पोस्टर तैयार करवा कर रख लेते हैं. अब करण ने बॉलीवुड के काम करने के तरीके पर एक और चौंकाने वाला खुलासा किया है.
एक राउंड टेबल कन्वर्सेशन का हिस्सा बने करण ने बताया कि इंडस्ट्री के फिल्ममेकर्स कैसे फिल्मों का भौकाल मजबूत करने के लिए अपने ही लोगों से तारीफ करवाते हैं. करण ने इस बातचीत में फिल्मों के क्रिटिक्स रिव्यू की जमकर पोल खोली. उन्होंने बताया कि इंडस्ट्री के लोग अपनी फिल्मों को हिट बनाने के लिए हर तरह का खेल करते हैं.
करण जौहर ने खोली क्रिटिक की पोल गलट्टा प्लस के राउंड टेबल कन्वर्सेशन में करण ने कहा, 'बहुत बार हम पीआर के लिए हमारे अपने लोगों को भेजते हैं और कहते हैं कि वो फिल्म की तारीफ करें, और ऐसा ही होता है. कभी कभी आप एकदम बेहतरीन फिल्म नहीं बना पाते. जाहिर है कि सभी चाहते हैं कि (फिल्म के बारे) में अच्छे-अच्छे वीडियोज बाहर आएं. जब आप फंसे होते हैं, आप क्रिटिक-क्रिटिक-क्रिटिक करते हैं (उन्हें नकारते हुए) लेकिन फिर आप उन क्रिटिक्स को खोजते हैं जिन्होंने फिल्मों के बारे में अच्छी बातें कही हैं और पांच स्टार्स, चार स्टार्स, तीन स्टार्स और दो स्टार्स वाला बड़ा पोस्टर बनवाते हैं. इनमें से कुछ क्रिटिक ने तो खुद अपना नाम नहीं सुना होता. जबकि हम इन्हें खोज लेते हैं, हम करते हैं ऐसा भी.'
करण ने आगे कहा कि एक फिल्ममेकर अपनी फिल्म को लोगों तक पहुंचाने के लिए हर हद पार कर सकता है. उन्होंने माना कि वो भले फिल्म क्रिटिसिज्म के तौर-तरीकों की आलोचना करते हैं, मगर जब वो फिल्म की तारीफ करते हैं तो वो खुद उनका सहारा लेते हैं.
करण ने कहा कि कुछ क्रिटिक्स की वो बहुत इज्जत करते हैं लेकिन उन्हें इस बात से बहुत समस्या है जब ये क्रिटिक्स अपनी तरफ से स्क्रीनप्ले लिखने लगते हैं. उन्होंने कहा, 'ये हमारा स्क्रीनप्ले है. आप इसकी आलोचना करें. लेकिन आप खुद का स्क्रीनप्ले क्यों लिखने लगते हैं? 'ये ऐसा होना चाहिए था... लेकिन ये ऐसा नहीं है'.
दर्शकों पर छोड़ें फिल्म देखने की चॉइस करण ने ये भी कहा कि उन्हें इस बात से भी बहुत समस्या है कि कुछ रिव्यू करने वाले दर्शकों को कुछ फिल्में न देखने को कहते हैं. करण ने कहा, 'एक रिव्यूअर के तौर पर आपका काम हमारी आलोचना या तारीफ करना है. लेकिन फिल्म देखने की चॉइस तो ऑडियंस पर छोड़ देनी चाहिए.'













