![कभी रतन टाटा के बेहद करीबी थे साइरस मिस्त्री, बनाए गए थे टाटा संस के सबसे युवा चेयरमैन](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202209/tata1-sixteen_nine.jpg)
कभी रतन टाटा के बेहद करीबी थे साइरस मिस्त्री, बनाए गए थे टाटा संस के सबसे युवा चेयरमैन
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टाटा बोर्ड ने आरोप लगाया था कि साइरस मिस्त्री की अगुवाई में टाटा ग्रुप की रफ्तार सुस्त हुई और ग्रुप उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ा जैसी अपेक्षाएं उनसे की गई थीं. अचानक साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को हटाए जाने से हर कोई हैरान था. क्योंकि एक समय रतन टाटा के बेहद करीबी थे साइरस मिस्त्री.
उद्योग जगत के साथ-साथ देश के लिए बेहद मायूसी भरी खबर है. टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का रविवार को एक सड़क हादसे में निधन हो गया. वे 54 साल के थे. एक समय रतन टाटा के बेहद करीबी थे साइरस मिस्त्री.
दरअसल साइरस पालोनजी मिस्त्री (Cyrus Mistry) को 28 दिसंबर, 2012 को टाटा का चेयरमैन बनाया गया था. मिस्त्री ने छठे चेयरमैन के तौर पर ग्रुप में कार्यभार संभाला था. मिस्त्री को पद से हटाए जाने पर टाटा ग्रुप का कहना था कि बोर्ड ने अपनी सामूहिक बुद्धि और टाटा ट्रस्ट के शेयरहोल्डरों की सलाह पर यह फैसला किया है. टाटा सन्स और टाटा ग्रुप के बेहतरी के लिए यह बदलाव जरूरी था. जब मिस्त्री को हटाया गया था कि उस वक्त टाटा संस के 18.5 फीसदी शेयर इसी परिवार के पास थे और इस तरह से यह सबसे बड़ा शेयरधारक थे.
हटाने के पीछे टाटा बोर्ड का ये था तर्क
अचानक साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को हटाए जाने से हर कोई हैरान था. क्योंकि साइरस मिस्त्री जब टाटा सन्स (Tata Sons) के चेयरमैन बने थे, उस समय कंपनी का कारोबार 100 अरब डॉलर के आसपास था. तब मिस्त्री से यह उम्मीद जताई जा रही थी कि वे वर्ष 2022 तक इस कारोबार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचा देंगे. लेकिन अचानक टाटा संस के बोर्ड ने 24 अक्टूबर, 2016 को साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया.
आरोप-प्रत्यारोप का चला लंबा दौर
टाटा बोर्ड ने आरोप लगाया था कि साइरस मिस्त्री की अगुवाई में टाटा ग्रुप की रफ्तार सुस्त हुई और ग्रुप उस रफ्तार से आगे नहीं बढ़ा जैसी अपेक्षाएं उनसे की गई थीं. लेकिन NCALT में मिस्त्री की ओर से याचिका में कहा गया कि मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने का काम ग्रुप के कुछ प्रमोटर्स ने किया. उनका इस्तीफा इनके उत्पीड़न की वजह से था. याचिका के दूसरे हिस्से में आरोप लगाया गया कि ग्रुप और रतन टाटा के अव्यवस्थित प्रबंधन की वजह से ग्रुप को आय का काफी ज्यादा नुकसान हुआ.