
एक ही वीकेंड में हुआ 'बेबी जॉन' का बंटाधार, क्या 2024 से ये बड़ा सबक लेगा बॉलीवुड?
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'बेबी जॉन' का इस तरह नाकाम होना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा मैसेज लेकर आया है. ये मैसेज जनता दे तो लॉकडाउन के बाद से ही रही है, मगर हिंदी फिल्ममेकर्स इसे ना मानने की जिद पर अड़े नजर आते हैं.
बॉलीवुड स्टार वरुण धवन को बॉलीवुड में 12 साल से ज्यादा वक्त हो चुका है. 2012 में 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर' से डेब्यू करने वाले वरुण की लेटेस्ट फिल्म 'बेबी जॉन' थिएटर्स में तगड़ा संघर्ष कर रही है. वरुण की ये फिल्म क्रिसमस की छुट्टी के दिन थिएटर्स में रिलीज हुई और इसके हिस्से साल का आखिरी वीकेंड आया जिसमें जनता वैसे भी मजे के मूड में रहती है और मसाला फिल्मों के लिए ये समय अच्छा माना जाता है.
ऐसे में धमाकेदार एक्शन और वरुण धवन को पहली बार मास अवतार में लेकर आई ये फिल्म 5 दिन में पूरे 30 करोड़ रुपये भी बॉक्स ऑफिस पर नहीं कमा सकी है. 'बेबी जॉन' का इस तरह नाकाम होना बॉलीवुड के लिए एक बड़ा मैसेज लेकर आया है. ये मैसेज जनता दे तो लॉकडाउन के बाद से ही रही है, मगर हिंदी फिल्ममेकर्स इसे ना मानने की जिद पर अड़े नजर आते हैं. हालांकि, तमिल फिल्म 'थेरी' का ऑफिशियल हिंदी रीमेक, 'बेबी जॉन' शायद इंडस्ट्री के लिए शायद एक पक्की वार्निंग साबित हो.
रीमेक में खत्म होता जनता का इंटरेस्ट लॉकडाउन से पहले तक, बॉलीवुड में हिट फिल्में डिलीवर करने के सबसे पक्के फॉर्मूले में से एक था- रीमेक. साउथ की किसी इंडस्ट्री या हॉलीवुड की किसी बड़ी हिट का राइट खरीदा और उसे हिंदी में रीमेक कर लिया. फिल्म अच्छी होती थी तो चल भी जाती थी. लेकिन इस खेल में सबसे बड़ा रोल था एक अदृश्य दीवार का.
दूसरी भाषा से जिस फिल्म को हिंदी में रीमेक किया जाता था, उसे हिंदी जनता ने कम देखा होता था. जैसे शाहिद कपूर की सुपरहिट 'कबीर सिंह' का उदाहरण देखिए. ये विजय देवेराकोंडा की तेलुगू फिल्म 'अर्जुन रेड्डी' का हिंदी रीमेक थी. हिंदी में बहुतायत जनता ने ये फिल्म नहीं देखी थी. इसलिए जब हिंदी में रीमेक होकर, शाहिद कपूर के साथ ये कहानी 'कबीर सिंह' के टाइटल से आई, तो थिएटर्स में जनता ने जबरदस्त प्यार लुटाया. लॉकडाउन में ओटीटी प्लेटफॉर्म्स की पॉपुलैरिटी ने जनता को साउथ ही नहीं, दुनिया भर की फिल्में देखने की सीधी खिड़की उपलब्ध करवा दी.
'कबीर सिंह' वाले शाहिद ही जब तेलुगू फिल्म 'जर्सी' का हिंदी रीमेक, 'जर्सी' नाम से ही लेकर आए तो यही दिक्कत सामने आई. ऑरिजिनल तेलुगू फिल्म, नानी स्टारर 'जर्सी' अपनी इमोशनल कहानी और पारिवारिक होने के कारण ओटीटी पर खूब देखी गई थी, चाहे साउथ हो या नॉर्थ. ऑरिजिनल फिल्म थिएटर्स में रिलीज हुई थी 2019 में, ओटीटी पर आई 2020 में और इसका हिंदी रीमेक थिएटर्स में रिलीज हुआ 2022 में.
नोट कीजिए, ओटीटी पर ऑरिजिनल फिल्म आने और थिएटर्स में रीमेक के रिलीज होने में उन्हीं महीनों का गैप है, जिनमें इंडियन जनता ने ओटीटी पर जमकर कंटेंट कंज्यूम किया है. शाहिद का 'जर्सी' रीमेक थिएटर्स में आया और फ्लॉप हो गया. लोगों ने दोष दिया यश की विस्फोटक फिल्म 'KGF 2' को. जैसे आज 'बेबी जॉन' के ना चलने के पीछे लोग 'पुष्पा 2' को वजह बता रहे हैं.













