
ईरान से सीधी बातचीत क्यों चाहता है अमेरिका? ट्रंप एक तीर से साधेंगे कई निशाने!
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप साफ तौर पर कह चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संप्रभु राष्ट्र बनें और वह ईरान को परमाणु संपन्न बनने से रोकने के लिए सीधी बातचीत का दबाव बना रहा है.
ईरान के परमाणु कार्यक्रम से कई देशों की नींद उड़ी हुई हैं. ईरान को न्यूक्लियर हथियार बनाने से रोकने के इरादे से अमेरिका और इजरायल ने हाल ही में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों फोर्दो, नतांज और इस्फहान पर हमला किया था. लेकिन अब अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर उससे सीधी बातचीत का मन बना लिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ईरान से इस सीधी बातचीत के पीछे अमेरिका की मंशा क्या है?
अमेरिका का सबसे बड़ा लक्ष्य ईरान को न्यूक्लियर हथियार बनाने से रोकना है. तेहरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम लंबे समय से पश्चिमी देशों विशेष रूप से अमेरिका और इजरायल के लिए चिंता का सबब रहा है. ऐसे में अमेरिका की ट्रंप सरकार ईरान पर सीधे तौर पर दबाव डालने पर आमादा है ताकि ईरान के साथ जल्द से जल्द समझौते को अंतिम रूप दे सके.
अमेरिका के एक तीर से कई निशाने
ट्रंप साफ तौर पर कह चुके हैं कि वह नहीं चाहते कि ईरान परमाणु संप्रभु राष्ट्र बनें और वह ईरान को परमाणु संपन्न बनने से रोकने के लिए सीधी बातचीत का दबाव बना रहा है.
ईरान को मिडिल ईस्ट में अपने सहयोगियों हमास, हिज्बुल्लाह और हूती विद्रोहियों का पूरा सपोर्ट है, जिन्होंने इस क्षेत्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के लिए चुनौतियां खड़ी की हैं. ऐसे में अमेरिका सीधी बातचीत के जरिए ईरान के इन प्रॉक्सी समूहों के प्रभाव को भी कम करने की कोशिश करना चाहता है.
ईरान से नजदीकियों की वजह से मिडिल ईस्ट में चीन और रूस का प्रभाव भी बढ़ रहा है. ऐसे में अमेरिकी प्रत्यक्ष बातचीत के जरिए ईरान को पश्चिमी खेमे की ओर लाने की कोशिश कर सकता है ताकि रूस और चीन का प्रभाव कम हो सके.

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