आस्ट्रलियाई विश्वविद्यालयों ने लगाया इंडियन छात्रों पर प्रतिबंध, यूपी समेत इन 8 राज्यों के छात्र नहीं कर सकेंगे आवेदन
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ऑस्ट्रेलिया के करीब पांच विश्वविद्यालयों ने भारत के कुछ प्रदेशों से आने वाले छात्रों को प्रतिबंधित कर रहे हैं. इनमें विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, एडिथ कोविन यूनिवर्सिटी, वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी, टोरेस यूनिवर्सिटी और सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी के नाम शामिल हैं. जानिए- क्या है वजह?
ऑस्ट्रेलिया के कई विश्वविद्यालयों ने भारत के करीब आठ राज्यों से आने वाले अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों पर प्रतिबंध लगा दिया है. फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल, और पढ़ाई की जगह स्टूडेंट वीजा का इस्तेमाल सिर्फ ऑस्ट्रेलिया आने के लिए करने जैसे कारणों का हवाला देते हुए यह प्रतिबंध लगाया है. ऑस्ट्रेलियाई अखबार सिडनी मॉर्निंग हेरल्ड अखबार ने रिसर्च के बाद लिखा था कि कम से कम पांच विश्वविद्यालयों ने ये प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें विक्टोरिया यूनिवर्सिटी, एडिथ कोविन यूनिवर्सिटी, वोलोनगॉन्ग यूनिवर्सिटी, टोरेस यूनिवर्सिटी और सदर्न क्रॉस यूनिवर्सिटी शामिल हैं.
वैश्विक शिक्षा फर्म नवितास के जॉन च्यू ने अपने बयान में कहा है कि आने वाले छात्रों की संख्या उम्मीद से कहीं अधिक है. हम जानते थे कि संख्या में काफी वृद्धि होगी, लेकिन इसके साथ ही फर्जी छात्रों की संख्या भी बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस स्थिति से निपटने के लिए कई विश्वविद्यालय अब प्रतिबंध लगा रहे हैं.
पंजाब और हरियाणा का हरियाणा भी नाम
एडिथ कोविन यूनिवर्सिटी के डिप्टी वाइस चांसलर ने DW को दिए बयान में इस तरह के प्रतिबंधों की पुष्टि की है. डिप्टी वीसी जेक जर्मन का कहना है कि एडिथ कोवन यूनिवर्सिटी गुणवत्ता पर आधारित संस्थान है, जहां दाखिला प्रक्रिया और पढ़ाई के माहौल के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि हमारे सभी छात्रों का विकास हो और वे अपनी पढ़ाई व करियर में सफलता पूर्वक आगे बढ़ें. जनवरी 2023 में ईसीयू ने अस्थायी तौर पर पंजाब और हरियाणा से अंडरग्रैजुएट कोर्सों में दाखिले की प्रक्रिया निलंबित कर दी थी ताकि इन क्षेत्रों से दाखिलों की प्रक्रिया की समीक्षा की जा सके.
क्या हैं वजहें
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार ऑस्ट्रेलिया में इस साल भारतीय छात्रों की संख्या वर्ष 2019 के 75,000 के सर्वाधिक आंकड़े को पार कर सकती है. सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड अखबार ने मंगलवार को कहा कि छात्रों की संख्या में मौजूदा वृद्धि से ऑस्ट्रेलिया की इमिग्रेशन प्रणाली और देश के आकर्षक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बाजार पर संभावित दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर सांसदों और शिक्षा क्षेत्र के लोगों ने चिंता व्यक्त की है.
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