
अरविंद केजरीवाल पंजाब के मौजूदा हालात में विपश्यना साधना को कितना गैर-राजनीतिक रख पाएंगे?
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अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए ऐसे समय पंजाब पहुंचे हैं, जब आम आदमी पार्टी पहले ही चौतरफा चुनौतियों से जूझ रही है, जिसमें सरकार और पार्टी दोनो को बचाये रखना भी शामिल है - किसानों का विरोध तेज होता जा रहा है, और मुख्यमंत्री भगवंत मान सख्ती से पेश आ रहे हैं.
विपश्यना आध्यात्मिक साधना है, और पंजाब में फिलहाल घोर राजनीतिक माहौल बना हुआ है - और ऐसे हालात में ही अरविंद केजरीवाल ने पंजाब का रुख किया है, लेकिन बताने की कोशिश हो रही है कि ये दौरा राजनीतिक नहीं है. अरविंद केजरीवाल ही नहीं, अलग अलग वक्त पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और नीतीश कुमार को भी विपश्यना का रुख करते देखा गया है.
राजनीति के साथ साथ अरविंद केजरीवाल विपश्यना भी नियमित रूप से करते आ रहे हैं. और, ऐसा हर भाव में करते रहे हैं. जब चुनाव जीत जाते हैं तब भी, हार जाते हैं तब भी, और - जेल जाने की नौबत आती है तब भी.
वर्क-लाइफ बैलेंस का ये अच्छा अभ्यास माना जा सकता है, लेकिन अरविंद केजरीवाल विपश्यना के लिए पंजाब की जगह अभी कहीं और जाते तो पूरा फल मिलता. पंजाब में तो अभी करीब करीब कोहराम मचा हुआ है - ऐसे माहौल में वो साधना पर कितना फोकस कर पाएंगे, कहना मुश्किल है.
विपश्यना में दस दिन तक रूटीन की चीजों से बिल्कुल अलग थलग रहना होता है. ये बाहरी दुनिया से लगभग कट जाने जैसा होता है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की राजनीति जिस दौर से गुजर रही है, क्या ये सब यूं ही मुमकिन भी है?
और इसीलिए सवाल उठता है कि क्या अरविंद केजरीवाल विपश्यना को इस बार राजनीति से दूर रख पाएंगे?
किसान आंदोलन बनाम भगवंत मान का सख्त रुख

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