
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को समर्थन, पाकिस्तानी-अमेरिकी पब्लिक अफेयर्स कमेटी का ऐलान
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PAKPAC ने कहा, "हम हर मुद्दे पर ट्रंप से सहमत नहीं हैं, लेकिन हमें विश्वास है कि वह अमेरिकी-पाकिस्तान संबंधों को सुधार सकते हैं." समूह ने उम्मीद जताई कि ट्रंप, इमरान खान सहित पाकिस्तान में राजनीतिक बंदियों की रिहाई में मदद करेंगे और देश में चल रहे राजनीतिक संकट को हल करेंगे.
पाकिस्तानी-अमेरिकी पब्लिक अफेयर्स कमेटी (PAKPAC) ने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्थन देने का ऐलान किया है. यह समर्थन उनके द्वारा अमेरिकी-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने की प्रतिबद्धता और पाकिस्तान में लोकतंत्र के संकट को हल करने के उनके वादों के आधार पर किया गया है. PAKPAC का यह निर्णय ट्रंप और हैरिस दोनों के अभियानों से गहन चर्चाओं के बाद लिया गया है.
यह कदम मुस्लिम और पाकिस्तानी-अमेरिकी समुदाय के कुछ हिस्सों में बाइडेन-हैरिस प्रशासन की पाकिस्तान को लेकर विदेश नीति से हो रही नाराजगी को भी उजागर करता है. PAKPAC ने ट्रंप के पाकिस्तान के प्रति उनके पिछले कार्यकाल के दौरान उठाए गए कदमों की सराहना की, जिनमें तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ उनकी मुलाकात और पाकिस्तानी मंत्रियों से संपर्क शामिल था.
PAKPAC ने कहा, "हम हर मुद्दे पर ट्रंप से सहमत नहीं हैं, लेकिन हमें विश्वास है कि वह अमेरिकी-पाकिस्तान संबंधों को सुधार सकते हैं." समूह ने उम्मीद जताई कि ट्रंप, इमरान खान सहित पाकिस्तान में राजनीतिक बंदियों की रिहाई में मदद करेंगे और देश में चल रहे राजनीतिक संकट को हल करेंगे.
वहीं, PAKPAC ने कमला हैरिस के पाकिस्तान संबंधी दृष्टिकोण पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि बाइडेन-हैरिस प्रशासन ने इमरान खान के खिलाफ "तख्तापलट" को समर्थन दिया और पाकिस्तान में चुनावी धांधली और राजनीतिक दमन पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया. हैरिस के साथ चर्चाओं के बाद PAKPAC ने निष्कर्ष निकाला कि अगर हैरिस राष्ट्रपति बनीं तो मौजूदा नीतियों में कोई खास बदलाव नहीं होगा, जिससे अमेरिकी-पाकिस्तान संबंधों में और खटास आ सकती है.
मुस्लिम अमेरिकियों के बीच बढ़ती नाराजगी
PAKPAC का ट्रंप को समर्थन मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के बीच बढ़ते असंतोष का एक हिस्सा है. इससे पहले, मुस्लिम एडवोकेसी समूह Emgage ने भी घोषणा की थी कि वह 2024 के चुनाव में कमला हैरिस का समर्थन नहीं करेगा. यह स्थिति दर्शाती है कि मुस्लिम अमेरिकी समुदाय के कुछ हिस्सों में बाइडेन-हैरिस प्रशासन की विदेश नीति को लेकर नाराजगी है, खासतौर पर दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के मुद्दों पर.

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