अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम का उद्घाटन, 185 एकड़ में फैला, 12 साल में बनकर हुआ तैयार
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अमेरिका के न्यूजर्सी में सबसे बड़े हिंदू मंदिर अक्षरधाम का उद्घाटन हो गया है. ये मंदिर 185 एकड़ में बना है. मंदिर को तैयार होने में 12 साल का समय लगा है और 12,500 लोगों ने मंदिर निर्माण में श्रमदान किया है. स्वयंसेवकों ने दिन-रात काम किया. मंदिर में जो पत्थर लगे हैं, वो 29 देशों से लाए गए हैं. इसे भारतीय संस्कृति, कला और अध्यात्म का संगम कहा जा रहा है.
अमेरिका में सबसे बड़े हिंदू मंदिर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम का उद्घाटन हो गया है. ये मंदिर 185 एकड़ में फैला है, जिसे अब भक्तों के लिए खोल दिया गया है. यह मंदिर अमेरिका और दुनियाभर में रहने वाले लोगों के लिए एकता, शांति और सद्भाव का संदेश देता है. भगवान स्वामीनारायण को समर्पित मंदिर का निर्माण 2011 में शुरू हुआ था और इस साल बनकर तैयार हुआ है. इसे दुनियाभर के 12,500 वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया है. मंदिर की कई प्रमुख अनूठी विशेषताएं हैं. इनमें से एक पत्थर से निर्मित अब तक का सबसे बड़ा गुंबद है.
बता दें कि विश्व स्तर पर बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम हिंदू कला, वास्तुकला और संस्कृति के मील के पत्थर हैं और यह आध्यात्मिक और कम्युनिटी हब के रूप में माने जाते हैं, जो सभी धर्मों और पृष्ठभूमि से जुड़े लोगों को आकर्षित करते हैं. न्यूजर्सी में अक्षरधाम विश्व स्तर पर तीसरा ऐसा सांस्कृतिक परिसर है. पहला अक्षरधाम 1992 में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में बनाया गया था. उसके बाद 2005 में नई दिल्ली में अक्षरधाम बनाया गया था.
'9 दिवसीय कार्यक्रम के बाद टेंपल का उद्घाटन'
न्यूजर्सी के रॉबिन्सविले में 30 सितंबर को शुरू हुए 9 दिवसीय उत्सव के बाद रविवार को अक्षरधाम टेंपल का भव्य कार्यक्रम में उद्घाटन हुआ. उसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया. स्वामी महाराज ने अनुष्ठानों और पारंपरिक समारोहों के बीच मंदिर में 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह आयोजित किया.
'मंदिर में परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश'
वॉलंटियर्स लेनिन जोशी ने कहा, स्वामीनारायण अक्षरधाम भारत की विरासत और संस्कृति को आधुनिक अमेरिका के सामने प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा, इसे दुनियाभर के वॉलंटियर्स द्वारा बनाया गया. इसमें परंपराओं को संरक्षित करने की कोशिश की है. शांति, आशा और सद्भाव का संदेश दिया गया है. जोशी ने कहा, हम पिछले कई वर्षों से इस पल का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने कहा, आखिरकार वो दिन आ गया, जब देशभर से लोग मंदिर में आ सकेंगे और भारतीय हिंदू परंपरा, शांति, भक्ति और वास्तुशिल्प चमत्कार के प्रतीक मंदिर में भव्य दर्शन कर सकेंगे.