
अब तक US की आधिकारिक भाषा क्या थी, Donald Trump ने इसे लेकर कौन-सा बड़ा एलान किया?
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एक के बाद एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन करने के क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने नया आदेश देते हुए अंग्रेजी को अमेरिका की आधिकारिक भाषा बनाने का एलान कर दिया. 30 राज्य इसे पहले ही मंजूरी दे चुके. लेकिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने के बावजूद इंग्लिश अब तक इस देश की ऑफिशियल लैंग्वेज क्यों नहीं बन सकी थी? और अब इससे क्या फर्क पड़ेगा?
रूस और यूक्रेन की लड़ाई सुलझाने में डोनाल्ड ट्रंप आक्रामक किस्म की मध्यस्थता कर रहे हैं. वो यूक्रेन पर इस कदर हावी हो चुके कि पूरा का पूरा यूरोप डरा हुआ है. इस बीच वाइट हाउस में बैठे हुए वे लगातार एग्जीक्यूटिव ऑर्डर भी दे रहे हैं. ऐसे ही एक आदेश के तहत अब से अंग्रेजी अमेरिका की आधिकारिक भाषा होगी. ये प्रस्ताव पहले भी आया था, जो विरोध के चलते ठंडे बस्ते में चला गया था.
कार्यकारी आदेश देते हुए ट्रंप ने कहा कि इंग्लिश को आधिकारिक दर्जा मिल जाने पर न केवल कम्युनिकेशन आसान होगा, बल्कि इससे साझा राष्ट्रीय मूल्य भी मजबूत होंगे. साथ ही लोग और करीब आएंगे. इससे देश की इकनॉमिक ग्रोथ भी तेजी से होगी. ट्रंप का ये एलान अमेरिका में इंग्लिश-ओनली मूवमेंट में बड़ा माइलस्टोन माना जा रहा है. बता दें कि भाषा वो चीज है, जिसकी वजह से देशों के बंटवारे तक हो चुके. भारत में भी आधिकारिक भाषा को लेकर बवाल होते आए हैं. यही हाल अमेरिका का रहा.
18वीं सदी में अमेरिका में अलग-अलग देश और बोली बोलने वाले बस रहे थे. अंग्रेजी के अलावा डच, फ्रेंच, स्पेनिश और स्वीडिश-भाषी भी बड़ी संख्या में थे. तब सारे लोग किसी हड़बड़ाहट में नहीं थे. जैसे-जैसे देश आगे बढ़ा, भाषा को लेकर राजनीति शुरू हो गई.
जर्मन भाषा पर हुई थी वोटिंग
20वीं सदी के शुरुआती दशकों में जर्मन भाषा को भी आधिकारिक दर्जा देने की बात हुई क्योंकि तब वहां जर्मन्स काफी संख्या में थे. कई शहरों में जर्मन अखबार, स्कूल और चर्च चलते. यहां तक कि साल 1795 में कांग्रेस में एक प्रस्ताव आया कि क्यों न जर्मन भाषा में सरकारी दस्तावेज छपा करें. वोटिंग हुई और केवल एक मत से ही प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया. माना जाता है कि अमेरिका के पहले हाउस स्पीकर, जो खुद एक जर्मन थे, उन्होंने ही इसके खिलाफ वोट दिया था. वे कहा भी करते थे कि अमेरिका को अंग्रेजी से ही चलाया जाना चाहिए.

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