अफगान संकटः 1992 में निकासी अभियान चलाने वाले स्क्वाड्रन लीडर से जानें तब की दास्तां
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स्क्वाड्रन लीडर राजेश कुमार (रिटायर) ने कहा कि मुझे बस एक बात कहनी है कि वायुसेना कल, आज, कल, हमें रिस्क तो उठाना ही है. कुछ भी बड़ी चीज नहीं है, हमें रिस्क उठाना पड़ता है. हां हम बस चीजों को कैलकुलेट करते हैं कि कुछ चीजों को कैसे दूर किया जाए.
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा जमाने के बाद वहां फंसे भारतीयों को निकालने की कोशिश जारी है. भारतीय वायुसेना ने अभी कुछ भारतीयों को सुरक्षित निकाल लिया है और अभी भी बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं. ऐसा ही एक मुश्किल अभियान 1992 में भी चलाया गया था जिसकी अगुवाई करने वाले स्क्वाड्रन लीडर ने तब के अपना अनुभव साझा किया.हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.