UP चुनाव: दलित वोटरों को लुभाने में लगीं राजनीतिक पार्टियां
The Quint
UP Election: विधानसभा चुनाव के लिए जाति-वर्गों के वोट समेटने का प्रयास कर रही एसपी की नजर आदिवासियों पर भी है. The SP, which is trying to cover the votes of caste-classes for the assembly elections, is also keeping an eye on the tribals.
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मिशन-2022 की तैयारियों में जुटे राजनीतिक दलों को अब दलित वोटों को अपने पाले में लाने की चिंता सताने लगी है और इसके लिए वह कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. कोई दलित चेतना यात्रा निकाल रहा है तो कोई आदिवासी दिवस मनाने की तैयारी में है चाहे एसपी, हो, कांग्रेस हो या बीजेपी सब दलितों को साधने में लगे हैं. यूपी में ब्राम्हणों के बाद सबसे ज्यादा इसी वोट बैंक के लिए संग्राम छिड़ा हुआ है. विधानसभा चुनाव के लिए जाति-वर्गों के वोट समेटने का प्रयास कर रही एसपी की नजर आदिवासियों पर भी है. एसपी अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ की बैठक में जातीय जनगणना कराने की सरकार से मांग के साथ विश्व आदिवासी दिवस सोनभद्र में मनाने का निर्णय लिया गया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने कहा कि जल, जंगल, जमीन से बेदखल हो रहे आदिवासियों को उनके हक एसपी की सरकार बनने पर दिलाए जाएंगे. उनके हित में योजनाएं भी बनेंगी.यूपी की राजनीति बहुत हद तक जातीय समीकरणों पर ही टिकी है. दलों की रणनीति भी इसी पर है. दलितों का वोट गवां चुकी कांग्रेस को लगता है राज्य में पिछड़ों के वोट के लिए ज्यादा मार हो रही है. इसीलिए उसने दलितों की ओर अपना फोकस करना शुरू कर दिया है. अभी तक दलितों का एकमुस्त वोट मायावती के कब्जे में रहा है, लेकिन 2014 के बाद से इसमें कुछ वर्ग छिटक कर भाजपा की ओर आया है। मायावती की दूसरी लाइन की लीडरशिप ढलान पर देखते हुए कांग्रेस को लगता है कि दलित वर्ग अब माया के झांसे से बाहर आएगा। इसीलिए उसने इस वोट बैंक को अपने पाले पर लाने की जुगत लगानी शुरू की है।एक अध्ययन के अनुसार राज्य में दलित वोटों की हिस्सेदारी काफी मजबूत है। अगर आंकड़ो पर गौर फरमाएं तो राज्य में तकरीबन 42-45 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) है। उसके बाद 20-21 प्रतिशत दलितों की है। इसी वोट बैंक की बदौलत मायावती ने 2007 में 206 सीटों और 30.43 प्रतिषत वोट के साथ पूर्ण बहुमत से मुख्यमंत्री बनीं और उनकी सोशल इंजीनियरिंग खूब चर्चा भी बटोरी। 2009 में लोकसभा चुनाव हुए और बसपा ने 27.4 प्रतिशत वोट हासिल किए और 21 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया, लेकिन 2012 में उनकी चमक काम नहीं आ सकी। उनका वोट प्रतिशत भी घटा। 2017 में बसपा का सबसे मजबूत किला दरक गया। 2007 के बाद से मायावती के वोट प्रतिषत में लगातार घटाव आ रहा है। इन...More Related News