
Top Borrowers States: कर्ज लेने में देश का ये बड़ा राज्य सबसे आगे, जानिए किस स्टेट पर कितना बोझ!
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वित्त वर्ष 2021 से फरवरी 2025 तक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मार्केट बांड के जरिए 41.1 लाख करोड़ रुपये जुटाए. तमिलनाडु ने 4.8 लाख करोड़ रुपये के साथ सबसे ज्यादा पैसा जुटाया, जो कुल कर्ज की हिस्सेदारी का लगभग 12 प्रतिशत है.
राज्यों का कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. पिछले पांच साल के दौरान राज्यों का कर्ज काफी बढ़ चुका है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक, तमिलनाडु ने वित्त वर्ष 2025 में पांचवें वर्ष के लिए भारतीय राज्यों में सबसे ज्यादा कर्ज लिया है. अप्रैल 2024 और फरवरी 2025 के बीच ही तमिलनाडु का कुल कर्ज 1,01,025 करोड़ रुपये था.
राज्यों द्वारा ये कर्ज खर्च की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बॉन्ड जारी करके जुटाई जाती है, जिन्हें राज्य विकास लोन के रूप में जाना जाता है. जब ये रकम जुट जाती है तो इसका इस्तेमाल राज्य के विकास के लिए किया जाता है. आइए जानते हैं तमिलनाडु के बाद किस राज्य के ऊपर कितना ज्यादा कर्ज है.
5 साल में राज्यों पर 41.1 लाख करोड़ का कर्ज वित्त वर्ष 2021 से फरवरी 2025 तक, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मार्केट बॉन्ड के जरिए 41.1 लाख करोड़ रुपये जुटाए. तमिलनाडु ने 4.8 लाख करोड़ रुपये के साथ सबसे ज्यादा पैसा जुटाया, जो कुल कर्ज की हिस्सेदारी का लगभग 12 प्रतिशत है. दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र रहा, जिसने 4.2 लाख करोड़ रुपये जुटाए. इसके बाद उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश भी प्रमुख कर्जदार रहे. इन छह राज्यों ने मिलकर इस अवधि में कुल उधारी का आधा से अधिक हिस्सा हासिल किया.
टॉप पर रहे तमिलनाडु और महाराष्ट्र तमिलनाडु और महाराष्ट्र वित्त वर्ष 21-वित्त वर्ष 25 के दौरान लगातार टॉप पर रहे. तमिलनाडु हर साल सबसे आगे रहा, वित्त वर्ष 21 में 87,900 करोड़ रुपये से शुरू होकर वित्त वर्ष 25 में 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वित्त वर्ष 2025 में अप्रैल से फरवरी के बीच, कर्नाटक 72,025 करोड़ रुपये के साथ तीसरा सबसे बड़ा उधारकर्ता था, उसके बाद आंध्र प्रदेश 70,057 करोड़ रुपये और राजस्थान 63,565 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर था.
इस राज्य ने किया सबसे ज्यादा लोन का पेमेंट वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2025 की अप्रैल-सितंबर के बीच महाराष्ट्र ने लोन का 1.2 लाख करोड़ रुपये चुकाए, जो कि कुल कर्ज के मामले में सबसे ज़्यादा है. जबकि इस अवधि के दौरान कुल कर्ज 3.8 लाख करोड़ रुपये था.













