Pakistan Economy Crisis: फंस गया पाकिस्तान, इस वजह से दुनिया के लिए बन सकता है सिरदर्द!
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कर्ज के बोझ तले दबा पाकिस्तान इस भीषण संकट से बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा है. इस बीच एक इकोनॉमिस्ट ने कहा है कि पाकिस्तान सॉवरिन डिफॉल्ट की तरफ बढ़ रहा है. इसके अलावा कुछ और अर्थशास्त्रियों ने अपनी दलील दी है.
पाकिस्तान इस वक्त भारी आर्थिक संकट (Pakistan Economic Crisis) से जूझ रहा है. इस मुश्किल स्थिति से निकलने के लिए पाकिस्तान की सरकार संघर्ष कर रही है. पाकिस्तान ने दुनिया के कई देशों से कर्ज ले रखा और अब उसे चुकाना इसके लिए मुश्किल होता जा रहा है. इस बीच इकोनॉमिस्ट माइकल पेटिस ने कहा कि कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान का संघर्ष उसके लिए एक आपदा की तरह है, लेकिन पाकिस्तान की बदतर होती आर्थिक स्थिति बाकी दुनिया के लिए भी ठीक नहीं है. पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगतार घटता जा रहा है. इस वजह वो अपनी जरूरत की तमाम वस्तुओं का आयात नहीं कर पा रहा है.पेटिस ने क्यों दी दलील? पाकिस्तान की न्यूज वेबसाइट 'द डॉन' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, माइकल पेटिस वाशिंगटन स्थित कार्नेगी एंडोमेंट के सीनियर फेलो हैं. साथ ही वो बीजिंग की पेकिंग विश्वविद्यालय के गुआंगहुआ स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में फाइनेंस के प्रोफेसर भी हैं. माइकल पेटिस ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय में इकोनॉमी, पब्लिक पॉलिसी और फाइनेंस के प्रोफेसर आतिफ मियां के द्वारा किए गए ट्वीट्स की एक सीरीज का जवाब देते हुए तर्क दिया कि पाकिस्तान का कर्ज दुनिया की इकोनॉमी के लिए ठीक नहीं है.
पेटीस ने पाकिस्तान को दिया सुझाव हालांकि, पेटीस ने लेनदारों से अपनी पॉलिसी को रिव्यू करने के लिए आग्रह किया. क्योंकि कर्ज का बोझ पाकिस्तान की मांग को ग्लोबल सेविंग में प्रभावी रूप से ग्लोबल डिमांड में योगदान को कम कर रहा है. पेटीस ने लिखा कि इंपोर्ट को रिसायकिल करने की बजाय, पाकिस्तान को एक्सपोर्ट से होने वाली इनकम को कर्ज अदायगी के रूप में रिसायकिल करना चाहिए.
श्रमिकों और व्यवसायों की हालत बदतर वह बताते हैं कि वर्तमान स्थिति पाकिस्तान के लेनदारों के लिए अच्छी हो सकती है. लेकिन यह उन लोगों के लिए खराब है जो पाकिस्तान द्वारा आयात किए गए सामानों का प्रोडक्शन करते हैं. उन्होंने कहा कि कर्ज चुकाने के लिए पाकिस्तान के संघर्ष ने न केवल अपने श्रमिकों और व्यवसायों को बल्कि विदेशों में श्रमिकों और व्यवसायों को भी बदतर बना दिया है. एक अन्य अर्थशास्त्री ने चेतावनी दी है कि पाकिस्तान सॉवरिन डिफॉल्ट की ओर बढ़ रहा है. इसके परिणाम किसी के लिए भी अच्छे नहीं होंगे.
वित्तीय विश्लेषक लोरेंजो कैरीरी का कहना है कि पाकिस्तान को बाहरी लेनदारों से कर्ज में राहत की जरूरत है. पेटीस इसी तरह का तर्क देते हुए कहते हैं कि जब कोई देश स्पष्ट रूप से अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर सकता है, तो कर्ज को जल्दी से रिस्ट्रक्चर करना चाहिए. वो कहते हैं कि कर्ज चुकाने के लिए अर्थव्यवस्था को निचोड़ना लगभग सभी को बदतर बना देता है.
तेजी से कम करें बाहरी कर्ज पेटिस बताते हैं कि पाकिस्तान एक छोटी अर्थव्यवस्था हो सकता है और ग्लोबल डिमांड की स्तर पर इसका योगदान छोटा है. लेकिन अब विकासशील देशों की बढ़ती संख्या अपने बाहरी कर्ज को चुकाने के लिए संघर्ष कर रही है. पेटीस सुझाव देते हैं कि इस बात की चिंता करने के बजाय कि कौन से लेनदार दूसरे लेनदारों से आगे निकल रहे हैं. कर्जदार देशों को अपने ऊपर के बकाया कर्ज को तेजी से कम करने की तरफ आगे बढ़ना चाहिए. ये उनकी वास्तविक अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुंचाएगा भले ही ये उनके फाइनेंसियल सेक्टर को नुकसान पहुंचाए.
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