
Nadaaniyan Review: Gen Z के रोमांस की नादानियां, इब्राहिम फिट मगर खुशी कपूर की एक्टिंग है कमजोर
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GenZ के लिए बन रही यंग अडल्ट रोमांटिक फिल्मों के लिए बॉलीवुड की पहली चॉइस इन दिनों खुशी कपूर हैं. 'लवयापा' के बाद खुशी कपूर, फिल्म 'नादानियां' में इब्राहिम अली खान के साथ नजर आ रही हैं. अगर आप इस फिल्म को देखने की प्लानिंग कर रहे हैं तो जान लीजिए कि ये आपका दिल खुश करेगी या भेजा फ्राई.
दुनिया में लोगों के लिए प्यार का मतलब अब बदल चुका है. डेटिंग एप्स, फेक डेटिंग, अपनी इमेज के हिसाब से डेटिंग, AI की मदद से चैट... और न जाने क्या-क्या GenZ की डेटिंग लाइफ में चल रहा है. नई जनरेशन प्यार को छोड़कर सबकुछ कर रही है, क्योंकि फीलिंग्स, डिस्ट्रैक्शन और अपनी प्राइऑरिटी को बदलने में सबको डर लगता है. लेकिन जब आपको कोई पसंद आ जाए तो आप ही कर सकते हैं? दिल पर कितना ही जोर डाल सकते हैं? यही सब आपको खुशी कपूर और इब्राहिम अली खान की फिल्म 'नादानियां' में देखने को मिलेगा.
क्या है फिल्म की कहानी?
फिल्म की कहानी टिपिकल करण जौहर स्टाइल में है. दिल्ली के बड़े लॉ फर्म के मालिक की बेटी है पिया जयसिंह (खुशी कपूर). पिया के पास जिंदगी में सबकुछ है- बड़ा घर, हर साल मिलने वाली बड़ी गाड़ी, देश के बेस्ट स्कूल में पढ़ाई... लेकिन उसके पास जो नहीं है वो है, अपने मां-बाप का प्यार और उनका भरोसा. पिया के परिवार का मानना है कि लड़के सबकुछ कर सकते हैं. वो वकील बनकर खानदान का बिजनेस भी चला सकते हैं. अब इस पैट्रीआर्कल सोच वाले परिवार में पली बढ़ी पिया को अपने दादू (बरुन चंदा) से ताने मिलते हैं और पिता (सुनील शेट्टी) के साथ चंद पल बिताने के लिए तरसना पड़ता है. उसके मां (महिमा चौधरी)-बाप के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं. इन सब तकलीफों के बीच पिया ने अपने दोस्तों में अपनी फैमिली ढूंढ ली है. और जब इस फैमिली के बीच चीजें अयान नंदा (देव अगस्त्य) नाम के एक लड़के की वजह से बिगड़ने लगती हैं तो सिचुएशन को संभालने के लिए पिया दोस्तों से झूठ बोल देती है.
यहां से शुरू होती है उसकी झूठी जिंदगी, जिसमें उसका एक सिक्स पैक वाला, हैंडसम और इंटेलिजेंट बॉयफ्रेंड है. दिल्ली के सबसे बड़े स्कूल 'फैलकन हाई' में पढ़ रही पिया को इतना ग्रीन फ्लैग लड़का कहां से मिलेगा? अपने लिए ग्रीन फ्लैग ढूंढने के चक्कर में पिया के रास्ते में कई रेड फ्लैग लड़कों आते हैं. हालांकि अंत में वो सिक्स पैक वाले अर्जुन मेहता (इब्राहिम अली खान) को ढूंढ ही लेती है. हर जौहर की फिल्मों में स्कॉलरशिप वाले बच्चे अमीर मां-बाप की औलादों से ज्यादा समझदार और मेहनती होते हैं. अर्जुन भी वैसा ही नहीं. डॉक्टर पिता (जुगल हंसराज) और टीचर मां (दीया मिर्जा) का बेटा अर्जुन जिंदगी में कुछ कर दिखाना चाहता है. लेकिन सपने वो अपनी पॉकेट के हिसाब के ही देखता है. साथ ही वो किसी के सामने झुकने में विश्वास नहीं रखता और डिबेट टीम की लीडरशिप तो अपने एब्स दिखाकर ही पा लेता है. पिया चाहती है कि अर्जुन उसका फेक बॉयफ्रेंड बने. दोनों के बीच काफी नोकझोंक और अनकम्फर्टेबल पलों के बाद उनकी दोस्ती हो जाती है. फिर क्या? फिर वही होता है जो किस्मत और स्टोरी राइटर को मंजूर है.
इब्राहिम अली खान ने किया डेब्यू
डायरेक्टर शौना गौतम की इस फिल्म को रीवा राजदान कपूर ने लिखा है. रीवा की लिखी कहानी काफी अच्छी है. हालांकि इसे देखते हुए आपको कुछ फेमस यंग अडल्ट फिल्मों जैसे 'टू ऑल द बॉयज आई लव्ड बीफॉर' संग अन्य की याद आती है. नेटफ्लिक्स के कंटेंट और हॉलीवुड में इस्तेमाल हो चुकी स्टोरी को ही आप 'नादानियां' में देख रहे हैं. लेकिन किसी हिंदी सिनेमा में इसे देसी ट्विस्ट के साथ देखना काफी रिफ्रेशिंग है. जहान हांडा और इशिता मोइत्रा के लिखे डायलॉग्स काफी अच्छे हैं. डायरेक्टर शौना गौतम ने इसे बढ़िया तरीके से बनाया भी है. फिल्म की कमी उसकी परफॉरमेंस में है.

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