
India China Talk: ट्रंप की कड़वी गोलियों के बीच क्या करीब आ रहे हैं भारत-चीन? डिप्लोमैटिक टॉक में इन 4 मुद्दों पर बनती दिखी बात
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बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन (WMCC) की 33वीं बैठक के दौरान इस पर चर्चा हुई. इस दौरान भारत के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई गौरांगलाल दास ने की जबकि चीन की अगुवाई चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हॉन्ग लियांग ने की.
भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच मंगलवार को कई मुद्दों पर सार्थक बातचीत हुई. दोनों देशों के बीच यह वार्ता ऐसे समय पर हुई है जब डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर से दुनियाभर मे तनाव बढ़ा हुआ है. इस दौरान एलओसी पर मौजूदा स्थिति की व्यापक चर्चा की गई. दोनों पक्षों के बीच सीमा पर जारी तनाव को कम करने से लेकर सीमा पार नदयों और कैलाश-मानसरोवर यात्रा समेत सीमा पार सहयोग को जल्द से जल्द बहाल करने पर जोर दिया गया.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देशों के बीच हुई यह बैठक सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई और दोनों पक्षों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति की व्यापक समीक्षा की. दोनों पक्षों के बीच कैलाश मानसरोवर यात्रा बहाल करने का भी फैसला हुआ. इस यात्रा पर 2020 से रोक लगी है.
बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर वर्किंग मैकेनिज्म फॉर कंसल्टेशन एंड कॉर्डिनेशन (WMCC) की 33वीं बैठक के दौरान इस पर चर्चा हुई. इस दौरान भारत के प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई गौरांगलाल दास ने की जबकि चीन की अगुवाई चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा एवं महासागरीय मामलों के विभाग के महानिदेशक हॉन्ग लियांग ने की.
इस बैठक में कैलाश मानसरोवर यात्रा जल्द से जल्द शुरू करने पर चर्चा की गई. 2020 में भीरत-चीन की सीमा पर बढ़े विवाद के कारण यह यात्रा रोक दी गई थी.
बता दें कि इससे पहले विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने एक अहम बैठक में शामिल होने के लिए जनवरी में बीजिंग का दौरा किया था. इस दौरान दोनों देशों ने गर्मियों में कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई थी. चर्चा के दौरान विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री ने रिश्तों को स्थिर करने और संबंध सुधारने के लिए कदम उठाने पर सहमति जताई थी. इसके अलावा नई दिल्ली से बीजिंग की बीच फिर से डायरेक्ट एयर सर्विस शुरू करने पर भी बातचीत हुई थी.
दोनों देशों के बीच हुई दोनों देशों के रिश्तों में सुधार लाने और सीमा विवाद के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तौर पर माना जा रहा है

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