
Gullak 4 review: इमोशंस को कुरेदती, मुस्कुराहटें छेड़ती प्यारे-पारिवारिक किस्सों की 'गुल्लक' चौथे सीजन में भी है दमदार
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सोनी लिव पर 'गुल्लक 4' आ चुका है. नया कंटेंट आया है तो देखना चाहिए ही. मगर सवाल ये है कि पहले तीन सीजन में लाफ्टर-नॉस्टैल्जिया-पारिवारिक खुरपेंच की भरपूर दौलत लेकर आई इस 'गुल्लक' में इस बार भी वजन है या सिर्फ खनकने की आवाज है?
घर के छोटे जब परिवार के हर खर्चे और चर्चे का हिस्सा बनने को लालायित होकर, सांसारिक इम्तिहान के पर्चे से बाहर की बात छेड़ने लगें तो उसे अज्ञान कहते हैं. चोरी हुए सोने को पुरखों की नरक मुक्ति का मार्ग बताकर, जब मांएं घर के भभकते माहौल पर छींटा मारकर ठंडा करने का प्रयास करती हैं, तो उसे विज्ञान कहते हैं. और जब एक्शन-रिएक्शन के कर्मयोग को किनारे कर पिता चुपचाप बच्चों की कलाकारियां नोट करते चलते हैं, तो उसे संज्ञान कहते हैं.
तो यहां आपके संज्ञान में ये दर्ज कराना अति आवश्यक है कि ओटीटी पर हिंदी के पारिवारिक कंटेंट की सिरमौर वेब सीरीज, 'गुल्लक' लौट आई है अपने चौथे सीजन के साथ. और बिना रीजन की बातों में एंटरटेनमेंट खोज निकालने वाली ऑडियंस को, कंटेंट का खजाना देने वाले किस्से भी साथ आए हैं. नया कंटेंट आया है तो देखना चाहिए ही. मगर सवाल ये है कि पहले तीन सीजन में लाफ्टर-नॉस्टैल्जिया-पारिवारिक खुरपेंच की भरपूर दौलत लेकर आई इस 'गुल्लक' में इस बार भी वजन है या सिर्फ खनकने की आवाज है?
'गुल्लक 4' में क्या है मामला? मिश्रा परिवार के बड़े लड़के, अन्नू मिश्रा अब जिम्मेदार और दवा कंपनी मे मार्केटिंग रिप्रेजेंटेटिव उर्फ एम.आर. हो चुके हैं. 'गुल्लक 4' के एक एपिसोड में संतोष मिश्रा और अन्नू मिश्रा अपनी-अपनी नौकरी पर जाने के लिए तैयार हो रहे हैं. इस सीन में ये बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है कि कैसे घर का बड़ा लड़का, धीरे-धीरे अपने पिता के जूतों और जिम्मेदारियों का नाप समझने लगता है.
घर के निर्माण पर 'कारण बताओ नोटिस' का बाण चलने से शुरू हुआ 'गुल्लक 4', चोरी-और छिनैती के बारीक अंतर से गुजरता है. घर के कबाड़ का इजिप्शियन इतिहास खोदते हुए ये शो, नए-नए पनपते प्रेम में तीसरे पहिए का बैलेंसशास्त्र सिखाता है. और अंत में पिता, पुत्र और प्रेमपत्र की पचड़ेबाजी वाले प्रपंच पर जाकर खत्म होता है. पिछले तीन सीजन की तरह इस बार भी, अधिकतर आधे घंटे से कम छोटे एपिसोड्स वाले शो का ये अंत आपको 'थोड़ा और' की चाहत में छोड़ जाता है.
शो का भला, बुरा और करारा 'गुल्लक 4' आपको फिर से दूरदर्शन के उस गोल्डन दौर में ले जाता है जहां लोग परिवार साथ बैठकर टीवी देखा करते थे. शो के किस्सों में, अपने घर की रोजाना की चुहलबाजी का रिफ्लेक्शन देखकर मुस्कुराती और इमोशनल होती जनता को, एंटरटेनमेंट की डिश पर नैतिकता का गार्निश भी भरपूर मिल जाता है.
टोंटी से उलटी दौड़ लगाते पानी को पकड़कर पतीले-गिलास-कटोरी में भर डालने की जद्दोजहद हो. या फिर मस्ती करने की फिराक में बैठे, कबाड़ में खजाना खोज निकालने को तैयार लड़के की आतुरता... 'गुल्लक 4' में मिडल क्लास जनता को यादों में खींचकर ले जाने का पूरा दम है. लेकिन बीतते 90s और शुरुआती 2000s वाले दौर का फील वाला ये शो, दो एक जगह थोड़ा सा दरक जाता है. जैसे उम्र और इच्छाओं में बड़े होते, घर के छोटे लड़के का 'कलियुगी संतान' वाला ट्रीटमेंट, वक्त के हिसाब से थोड़ा सा आउटडेटेड लगता है. हालांकि, ये पूरा सब-प्लॉट एक फैमिली शो के 'शिक्षाप्रद' फील को अपने आप में निभाता तो है, मगर नैरेशन में कही गई कुछेक बातें थोड़ी सी खटकती हैं.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












