
Explainer: अपने पैसे के लिए यूरोप पर क्यों निर्भर हैं अफ्रीकी देश?
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अधिकतर अफ्रीकी देश अपना पैसा विदेशों में छपवाते हैं. इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे- कुछ देश तो इतने छोटे हैं कि अगर वो मनी प्रिंटिंग प्रेस का इस्तेमाल कर अपना पैसा खुद बनाते हैं तो उनके पास पैसे की अधिकता हो जाएगी जिसका कोई इस्तेमाल नहीं होगा. तकनीक की कमी और प्रिंटिंग में आने वाली लागत के कारण भी अफ्रीकी देश विदेशों से कैश आउटसोर्स करते हैं.
पश्चिम अफ्रीकी देश गाम्बिया में साल 2016 में 22 सालों बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और राष्ट्रपति रहे याह्या जमेह को सत्ता से हटने के बाद देश छोड़ना पड़ा. जमेह पर लंबे समय से राष्ट्रपति चुनावों में धांधली और विपक्षियों को चुप कराने के लिए उन्हें जेल में डालने के आरोप लगते रहे थे. जब वो सत्ता में थे तब देश की मुद्रा गैम्बियन दलासी पर उनकी तस्वीर छपा करती थी. जमेह के सत्ता से हटने के बाद गाम्बिया की सरकार ने देश की मुद्रा से उनकी तस्वीरों को हटाना शुरू किया.
अब दलासी नोटों में एक मछुआरे को अपनी डोंगी को समुद्र की ओर धकेलते हुए, एक किसान को अपने धान की देखभाल करते हुए और रंगीन स्वदेशी पक्षियों के चित्र हैं.
लेकिन पिछले साल जुलाई में, गाम्बिया में पैसों की कमी होने लगी जिसके बाद उसने अपने पश्चिम अफ्रीकी पड़ोसी नाईजीरिया के सेंट्रल बैंक से पैसे की छपाई में मदद की मांग की. गाम्बिया के केंद्रीय बैंक के गवर्नर बुआ सैडी ने कहा कि देश में मुद्रा की कमी हो गई है.
गाम्बिया अपने पैसे खुद नहीं छापता बल्कि वो अपने पैसों की छपाई के लिए ब्रिटेन की कंपनियों पर निर्भर है. जब देश में मुद्रा को दोबारा डिजाइन किया गया तो मुद्रा की भारी कमी हो गई और उसे नाइजीरिया का रुख करना पड़ा.
हालांकि, अफ्रीकी देशों में केवल गाम्बिया ही ऐसा देश नहीं है जो अपने पैसे खुद नहीं छापता बल्कि महाद्वीप के अधिकतर देश अपने पैसों की छपाई के लिए दूसरे महाद्वीप के देशों पर निर्भर हैं.
अफ्रीका के दो तिहाई देश करते हैं कैश की आउटसोर्सिंग

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