
75 साल का इतिहास, 16वीं जंग लड़ रहा इजरायल... हमास के हमले के बाद 2 धड़ों में बंट गई दुनिया
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इजरायल-हमास की जंग में जहां फिलिस्तीन के 2450 तो इजरायल के 1400 लोगों की मौत हो चुकी है. 75 साल के अपने वजूद को बचाए रखने के लिए इजरायल 16वीं भीषण जंग लड़ रहा है. ये दुनिया 95 अरब से ज्यादा भूभाग पर बसी है, लेकिन इतने बड़े भू-भाग की 35 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के लिए सदियों से जंग चल रही है.
इजरायल और हमास के बीच की जंग का रविवार को नौंवा दिन है. दोनों तरफ से हमले किए जा रहे हैं. इजरायल कई मोर्चों पर जंग लड़ रहा है. इधर हमास तो उधर लेबनान से हिजबुल्लाह इजरायल पर अटैक कर रहा है. हालांकि इजरायली डिफेंस फोर्सेज भी इन हमलों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं. इस जंग में जहां फिलिस्तीन के 2450 तो इजरायल के 1400 लोगों की मौत हो चुकी है. 75 साल के अपने वजूद को बचाए रखने के लिए इजरायल 16वीं भीषण जंग लड़ रहा है. ये दुनिया 95 अरब एकड़ से ज्यादा भूभाग पर बसी है, लेकिन इतने बड़े भू-भाग की 35 एकड़ जमीन के मालिकाना हक के लिए सदियों से जंग चल रही है.
हमास ने इजरायल को तगड़ी चोट पहुंचाने की नीयत से जंग का आगाज़ किया था. इजरायल अब जंग को अंजाम तक ले जाने के लिए लड़ रहा है, इस संघर्ष ने दुनिया को भी 2 गुटों में बांट दिया है. देशों के बीच धमकियां, चेतावनियां, समर्थन, विरोध के सिलसिले चल रहे हैं. आलम ये है कि एक बेलगाम चिंगारी थर्ड वर्ल्ड वॉर की आग धधका सकती है. ये जंग दुनिया को ऐतिहासिक मोड़ पर ले आई है.
हमास और लेबनान के आतंकी संगठन हिजबुल्लाह की ताकत के पीछे ये माना जा रहा है कि ईरान की फंडिंग और ट्रेनिंग है. इजरायल इसके पीछे ईऱान की भूमिका को खुले तौर पर स्वीकार करके बयान जारी कर चुका है. इसके अलावा ईरान लगातार मुस्लिम देशों से इजरायल के खिलाफ साथ आने का आह्वान भी कर रहा है और इजरायल को धमकियां दे रहा है. इजरायल के खिलाफ आखिर ईरान इतना आक्रामक क्यों है, जबकि संबंधों का इतिहास बताता है कि यही ईरान कभी इजरायल का सबसे बड़ा दोस्त था.
इजरायल-ईरान की दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदली?
इजरायल-ईरान की दोस्ती का पहला पन्ना खुलता है इजरायल की आजादी के साथ. 19 नवंबर 1947 में यूएन महासभा में फिलिस्तीन को अरब और यहूदियों में बांटने का प्रस्ताव पारित हुआ. अमेरिका और ब्रिटेन की मदद से फिलिस्तीन क्षेत्र में इजरायल बना. इजरायल के पहले पीएम और ईरान की शाही सरकार के बीच तेल को लेकर अच्छे रिश्ते बने. इजरायली बंदरगाहों पर तेल के लिए पाइप लाइनों का जाल बिछाया गया. एक समय ईरान से तेल लेने में इजरायल नंबर-1 देश था. दोनों देशों के संबंध 30 साल तक चले. लेकिन 1979 में हुई ईरान क्रांति ने राजशाही को खत्म कर दिया.
शिया नेता आयातुल्लाह खामेनेई ईरान के प्रमुख बने और ईरान को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया. सबसे बड़ा असर सबसे बड़े दोस्त इजरायल पर पड़ा. राजशाही के अंत के एक सप्ताह बाद ही ईरान में फिलिस्तीन का दूतावास खोल दिया गया. ये दूतावास वहीं खोला गया, जहां इजरायल का दूतावास था. इसके बाद तेहरान से इजरायल का दूतावास खत्म करके फिलिस्तीन का बोर्ड लगा दिया. ईरान ने मिडिल ईस्ट में इस्लामिक देशों के साथ नए समीकरण बनाए. ईरान औऱ उसके सहयोगियों ने इजरायल, अमेरिका और उसके साथी देशों को मुसलमानों के दुश्मन की तरह प्रचारित करना शुरू कर दिया. इस तरह दोनों देशों की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई.

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