4 लाख रुपये में रमेश चौहान ने खरीदी थी बिसलेरी, अब 7 हजार करोड़ में बिकेगी!
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बोतलबंद पानी बेचने वाली कंपनी बिसलेरी बिकने जा रही है. साल 1969 में रमेश चौहान ने इसे खरीदा था. उससे पहले ये एक इतालवी कंपनी थी, जिसे 1965 में फेलिस बिसलेरी ने स्थापित किया गया था. चौहान अब कंपनी को चलाने में सक्षम नहीं हैं.
भारत की सबसे बड़ी पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर कंपनी बिसलेरी (Bisleri) बिकने जा रही है. इसे खरीदने की दौड़ में कई उद्योगपति शामिल हैं. लेकिन बिसलेरी किसकी झोली में गिरेगी अभी कुछ भी तय नहीं है. अनुमान लगाया जा रहा है कि बिसेलरी 6,000-7,000 करोड़ रुपये में बिक सकती है.
कंपनी के चेयरमैन रमेश चौहान (Ramesh Chauhan) ने साल 1969 में बिसलेरी को चार लाख रुपये में खरीदा था. तब चौहान की उम्र 28 साल थी. अब 82 वर्ष के हो चुके रमेश चौहान बिसलेरी के कारोबार को आगे बढ़ाने में सक्षम नहीं हैं. इस वजह वो अपनी कंपनी के लिए खरीदार की तलाश में हैं.
चौहान ने क्यों खरीदी थी बिसलेरी?
बिसलेरी एक इतालवी कंपनी थी, जिसे 1965 में फेलिस बिसलेरी ने स्थापित किया गया था. इसी साल कंपनी कंपनी भारत भी आ गई थी. फिर साल 1969 में चौहान के नेतृत्व वाले पारले एक्सपोर्ट्स ने बिसलेरी को खरीद लिया. तब पारले एक्सपोर्ट्स अपने पोर्टफोलियो को पूरा करने के लिए एक ब्रांडेड सोडा की तलाश में था. बोतलबंद पेयजल उनके दिमाग में आखिरी चीज थी. बिसलेरी को भारत में कांच की बोतलों में और दो वैरिएंट, बबली और स्टिल में लॉन्च किया गया था. लेकिन चौहान ने बोतलबंद पानी बेचने के लिए बिसलेरी को नहीं खरीदा था.
फेमस था बिसलेरी का सोडा
बिजनेस टुडे के साथ 2008 के एक इंटरव्यू में चौहान ने कहा था कि उनके पोर्टफोलियो में पहले से ही गोल्ड स्पॉट जैसे लोकप्रिय ब्रांड थे, लेकिन सोडा नहीं था. 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत में फाइव स्टार होटलों से सोडा की अच्छी मांग थी. बिसलेरी का सोडा लोकप्रिय था, यही वजह है कि मैंने कंपनी खरीदी. लेकिन हमने तब पानी के कारोबार की तरफ देखा तक नहीं था. चौहान का ध्यान साल 1993 में बोतलबंद पानी इंडस्ट्री पर तब गया, जब उन्होंने अपने कोल्ड ड्रिंक्स पोर्टफोलियो कोका-कोला को 186 करोड़ रुपये में बेच दिया.