
24 हफ्ते की गर्भवती अविवाहिता को दिल्ली HC ने नहीं दी अबॉर्शन की अनुमति, कहा- बच्चा गोद भी दे सकते हैं
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पहले 12 सप्ताह के भीतर गर्भपात कराने के लिए एक डॉक्टर या 12 से 20 सप्ताह के भीतर गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों की सिफारिश की जरूरत होती थी. नए नियम के मुताबिक, राज्य-स्तरीय मेडिकल बोर्ड बनाए जाएंगे, जो यह तय करेंगे कि भ्रूण की विकृति के केस में अगर जीवन, मानसिक असामान्यताओं का जोखिम है तो 24 सप्ताह के बाद भी गर्भपात किया जा सकेगा.
दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को करीब 24 हफ्ते की गर्भवती अविवाहित महिला को अबॉर्शन की अनुमति देने से इनकार कर दिया. मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, देश में गोद लेने के लिए लोगों की लंबी कतार है. महिला बच्चे को जन्म देकर ऐसे दंपती को गोद दे दे, जिन्हें बच्चे की जरूरत है. इसके बाद कोर्ट ने महिला को दोपहर 2 बजे तक अपनी मांग पर विचार करने का वक्त दिया.
कोर्ट की सुनवाई जब फिर शुरू हुई तो वकील से पूछा गया कि महिला ने क्या विचार किया. इस पर वकील ने बताया कि वह जन्म देने के लिए तैयार नहीं है. वह अबॉर्शन ही कराना चाहती है. बेंच ने कहा- उनकी राय सुनकर हमें दुख हुआ. अब हम कानून के तहत सुनवाई करते हैं.
सुनवाई के दौरान वकील ने कहा कि कानून महिला को अबॉर्शन की अनुमति नहीं देता है इसलिए अदालत से विशेष अनुमति की मांग की गई है.
गर्भपात के लिए डॉक्टरों की सलाह जरूरी
सुनवाई के दौरान बेंच ने कहा कि अगर गर्भावस्था की अवधि 20 हफ्ते से ज्यादा हो गई हो लेकिन 24 हफ्ते से ज्यादा न हो तो ऐसी स्थिति में दो डॉक्टरों की सलाह जरूरी होती है. वकील ने महिला पंजीकृत केंद्र पर चिकित्सा परीक्षण के लिए तैयार है. बेंच ने कहा कि कोर्ट महिला को जांच के लिए एम्स भेजेगा. जवाब में वकील ने कहा कि महिला के पास कम समय है इसलिए उसे एम्स न भेजा जाए. बेंच ने कहा कि अगर समय कम था तो कोर्ट में आखिरी वक्त पर क्यों आए हैं? वकील ने कहा कि परिवार अंतिम समय तक चीजें सुलझने का इंतजार कर रहा था.
24 हफ्ते तक बच्चे को रखा तो आगे क्यों नहीं

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