
'हम बिकाऊ नहीं हैं...', एलन मस्क पर क्यों भड़का ताइवान?
AajTak
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि मस्क का यह कहना कि ताइवान, चीन का अभिन्न अंग है. यह बेहद गलत और आपत्तिजनक है. जोसेफ ने मस्क को फटकारते हुए कहा कि एलन मस्क का यह विचार चीन की तरह है, जिसके तहत वो ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने की बात कर रहे हैं.
ताइवान ने अमेरिकी कारोबारी एलन मस्क (Elon Musk) के एक बयान को लेकर उसे फटकार लगाई है. ताइवान ने मस्क को फटकारते हुए कहा है कि ताइवान बिकाऊ नहीं है. दरअसल मस्क ने हाल ही में कहा था कि ताइवान, चीन का हिस्सा है. मस्क के इसी बयान पर ताइवान ने आपत्ति जाहिर की है.
ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा कि मस्क का यह कहना कि ताइवान, चीन का अभिन्न अंग है. यह बेहद गलत और आपत्तिजनक है. जोसेफ ने मस्क को फटकारते हुए कहा कि एलन मस्क का यह विचार चीन की तरह है, जिसके तहत वो ताइवान को चीन के साथ फिर से मिलाने की बात कर रहे हैं.
बता दें कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक मस्क ने इस हफ्ते लॉस एंजेलिस में एक समिट के दौरान यह बयान दिया था. उन्होंने कहा कि चीन की नीति चीन में ताइवान को फिर से मिलाने की है. हमें उम्मीद है कि मस्क चीन से आग्रह करें कि चीन अपने देश में सोशल प्लेटफॉर्म एक्स को अपने लोगों के लिए ओपन कर दें. शायद उन्हें लगता है कि किसी चीज को बैन कर एक अच्छी नीति है. लेकिन सुन लें कि ताइवान, चीन का हिस्सा नहीं है और बिकाऊ नहीं है. ताइवान की लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार चीन के संप्रभुता के दावों को खारिज करती है.
बता दें कि यह पहला मौका नहीं है कि जब मस्क ने ताइवान को लेकर ऐसी बात कही है.पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने सुझाव दिया था कि चीन और ताइवान के बीच के तनाव को सुलझाने के लिए ताइवान पर कुछ नियंत्रण चीन को देना चाहिए.
बता दें कि चीन किसी भी हाल में ताइवान का एकीकरण चाहता है. वह ताइवान पर अपने अधिकार का दावा करता है. वहीं, ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है. दरअसल 1940 में गृहयुद्ध के दौरान चीन और ताइवान बंट गए थे लेकिन बीजिंग दोहराता रहा है कि वो इस द्वीप को हासिल करके रहेगा. इसके लिए वो ताकत का इस्तेमाल करने से भी नहीं बचेगा. हाल के दिनों में चीन ने कई बार ताइवान के हवाई रक्षा क्षेत्र का उल्लंघन किया है

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.







