
'स्त्री' से 'स्त्री 2' तक बदल गया हॉरर यूनिवर्स, मैसेज की जगह आया सिंथेटिक हॉरर... संभाल पाएगा ‘थामा’?
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'स्त्री 2' भले 2024 की सबसे बड़ी फिल्म रही हो, मगर दर्शकों को ये शिकायत रही कि इसमें 'स्त्री' वाला सोशल मैसेज और व्यंग्य गायब था. हॉरर यूनिवर्स धीरे-धीरे सोशल समस्याओं के हॉरर से सिंथेटिक हॉरर की तरफ जा रहा है. 'थामा' पर बड़ी जिम्मेदारी है.
दिनेश विजन का हॉरर यूनिवर्स मीडियम बजट की दमदार कॉमेडी फिल्म 'स्त्री' से शुरू हुआ था. बड़े साधारण बजट में बनी ये फिल्म 100 करोड़ से ज्यादा कमाई के साथ इतनी बड़ी सुपरहिट बनी कि ट्रेड एक्सपर्ट्स हैरान रह गए थे. इस साधारण बजट वाली फिल्म से शुरू हुआ ये हॉरर यूनिवर्स आज उस जगह पहुंच गया है कि बॉलीवुड के इतिहास की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर्स में से एक 'स्त्री 2' आज इसके खाते में है.
अब दिवाली पर हॉरर यूनिवर्स की फिल्म 'थामा' रिलीज होने जा रही है. आयुष्मान खुराना और रश्मिका मंदाना स्टारर इस फिल्म से बॉलीवुड फैन्स तभी से उम्मीदें लगाए बैठे हैं, जब ये अनाउंस हुई थी. एक तरफ तो 'थामा' साल की सबसे बड़ी बॉलीवुड फिल्मों में से एक है. मगर दूसरी तरफ इस फिल्म से फैन्स को एक चिंता भी लगी है. 'स्त्री' से 'स्त्री 2' तक हॉरर यूनिवर्स बहुत बदल चुका है. और इस बदलाव में एक चीज कहीं गुम होती दिखने लगी है, जिसने जनता को इस हॉरर यूनिवर्स की तरफ खींचा था— सोशल मैसेज.
दमदार मैसेज की वजह से 'स्त्री' ने जमाया था भौकाल 2018 में चलिए, जब 'स्त्री' रिलीज हुई थी. इस फिल्म को दर्शक मिलने की वजह ये नहीं थी कि इसमें कोई बड़ा सुपरस्टार था. वजह थी इसकी कॉमेडी जिसमें सोशल मैसेज और व्यंग्य का तगड़ा तड़का लगा था.
'स्त्री' महिलाओं के खिलाफ सबल पुरुषों के अपराध और उनकी सामाजिक स्थिति पर एक करारा व्यंग्य थी. याद कीजिए, फिल्म की भूतनी लोगों की जान तो लेती थी... मगर वो अपने शिकार की सहमति का पूरा ध्यान रखती थी. जबतक कोई पलटकर नहीं देखता था, उसे वो कुछ नहीं करती थी. और उसके पास सबके आधार कार्ड भी लिंक थे!
'भेड़िया' तक बरकरार रही मैसेज में जान वरुण धवन और कृति सेनन स्टारर 'भेड़िया' (2022) भी मैसेज के मामले में दमदार फिल्म थी. प्रकृति को बचाने और विकास के नाम पर जंगलों को खत्म ना करने का मैसेज इस फिल्म में दमदार तरीके से दिया गया था. इस कहानी में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को भी जगह मिली थी. विकास के प्रोजेक्ट्स में सरकारी बाबुओं और कंपनियों का भ्रष्टाचार भी 'भेड़िया' की हाईलाइट था. इसमें ग्राफिक्स का इस्तेमाल 'स्त्री' से ज्यादा हुआ था. मगर इसके VFX को तारीफ भी मिली थी. ये फिल्म कोविड के बाद पैरों पर खड़े होते फिल्म बिजनेस के स्ट्रगल वाले दौर में आई थी, इसलिए बहुत बड़ी हिट नहीं बन सकी. फिर भी इसने ठीकठाक कलेक्शन किया था.
'भेड़िया' से पहले हॉरर यूनिवर्स में ही आई जाह्नवी कपूर और राजकुमार राव की फिल्म 'रूही' में भी महिलाओं की आजादी को लेकर एक मैसेज को कहानी में पिरोने की अच्छी कोशिश हुई थी. मगर ये फिल्म स्टोरीटेलिंग के लेवल पर खराब थी इसलिए नहीं चल सकी. 'रूही' फ्लॉप हुई तो हॉरर यूनिवर्स से इसे बेदखल भी कर दिया गया इसलिए आज इसकी बात कोई नहीं करता. मगर इसके बाद हॉरर यूनिवर्स की मैसेज देने वाली खूबी गायब होती चली गई.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












