
सैफ-करीना की शादी के खिलाफ था समाज, बताया था 'लव जिहाद', बोलीं सोहा अली खान
AajTak
एक्ट्रेस सोहा अली खान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में बताया कि उनकी और कुणाल खेमू की शादी के दौरान 'लव जिहाद' और 'घर वापसी' जैसी बातें कही गई थीं. यही उनकी मां शर्मिला और भाई सैफ अली खान की शादी के दौरान भी हुआ.
शर्मिला टैगोर और मंसूर अली खान की 1968 में हुई इंटर कास्ट मैरिज ने कुछ रूढ़िवादी लोगों को परेशान किया था. लेकिन इसके चार दशक बाद भी जब उनके बेटे सैफ अली खान ने एक्ट्रेस करीना कपूर से शादी की, तब भी समाज का रूढ़िवादी हिस्सा नाराज हो गया था. सैफ के बाद उनकी छोटी बहन सोहा अली खान ने भी एक्टर कुणाल खेमू से इंटर कास्ट मैरिज की थी.
हाल ही में एक इंटरव्यू में सोहा अली खान से कुणाल खेमू संग उनकी शादी के दौरान हुए हंगामे के बारे में पूछा गया. उन्होंने बताया कि कैसे लोगों ने 'घर वापसी' और 'लव जिहाद' जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया था. उन्होंने यह भी बताया कि सैफ और करीना की 2012 में हुई शादी के दौरान भी ऐसा ही हंगामा हुआ था.
सोहा अली खान की शादी में हुआ हंगामा?
नयनीदीप रक्षित के यूट्यूब चैनल पर बातचीत में सोहा से पूछा गया कि क्या यह हंगामा उन तक पहुंचा था. एक्ट्रेस ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि यह मुझ तक पहुंचा, क्योंकि मुझे लगता है कि जब तक मेरे प्रियजन, जिनकी मैं परवाह करती हूं और जिनका मैं सम्मान करती हूं, मेरे साथ हैं, तब तक सब ठीक है. बहुत सारे नफरत करने वाले होंगे, बहुत सारी आवाजें होंगी, और यह भी ठीक है. मुझे सभी के अपनी राय रखने से कोई परेशानी नहीं है. तो मुझे लगता है कि ये चीजें, जैसे इंटर कास्ट मैरिज... जब कुणाल और मैंने शादी की, जब करीना और भाई ने शादी की, तब भी बहुत सारी अजीब बातें हुईं. लव जिहाद, घर वापसी, हर तरह के अजीब हेडलाइंस बनाए गए. आप जानते हैं न जो बोला जाता है- तुमने हमारा एक लिया, अब हम तुम्हारा एक लेंगे.'
बीता वक्त था ज्यादा आजाद
सोहा ने कहा कि कभी-कभी लोग सिर्फ कहने के लिए चीजें कहते हैं और अपने शब्दों की गंभीरता को नहीं समझते. उन्होंने इस हंगामे की तुलना उस शोर से की, जो शायद उनके माता-पिता को अपनी शादी के समय परेशान करता था. एक्ट्रेस ने कहा कि वह समय शायद 'ज्यादा आजाद' था. सोहा ने कहा, 'मुझे लगता है कि कुछ लोग इन बातों पर विश्वास भी नहीं करते, लेकिन लोग सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए चीजें कहते हैं... कई मायनों में शायद 60 का दशक ज्यादा आजाद समय था. और कुछ मायनों में, जैसा कि आप पूरी दुनिया में देख सकते हैं, लोग थोड़े असहिष्णु, थोड़े अधिक चरमपंथी, और थोड़े अधिक आत्मकेंद्रित हो गए हैं.'

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.










